नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, इस मंत्र का जाप करने से मां प्रसन्न होगी –
• या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
• वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
• वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा का पहला स्वरूप है। देवी शैलपुत्री प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। कथा कहती है कि राजा दक्ष ने एक बड़ा यज्ञ करने के लिए अपने दामाद भगवान शिव को निमंत्रण नहीं भेजा। पति भगवान शंकर की अनुमति के बिना माँ सती अपने पिता के घर गईं। वहाँ उन्होंने देखा कि यज्ञ में उनके पति भगवान शिव का कोई सम्मान नहीं किया गया था, न ही उनका आसन रखा गया था। इस अपमान से क्रोधित माँ सती ने एक यज्ञ में अपनी जान दी।
माँ सती के इस त्याग के परिणामस्वरूप भगवान शिव की समाधि टूट गई। शिव ने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ का विध्वंस करवा दिया और माँ सती का शरीर लेकर चले गए। जहां-जहां माँ सती के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई, जो आज भी शक्तिस्थलों के रूप में पूजे जाते हैं। माँ पार्वती, शैलराज हिमालय की पुत्री, माँ सती ने अपने अगले जन्म में भगवान शिव को कठोर तपस्या के बाद फिर से पति बनाया। वह पर्वतराज की पुत्री थी, इसलिए उनका नाम शैलपुत्री पड़ा।
नवरात्र के पहले दिन, श्रद्धालु घटस्थापना और अखंड ज्योति जलाकर मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं। भक्तों को देवी के प्रथम रूप का ध्यान और पूजन करने से विशेष रूप से शांति और समृद्धि मिलती है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का अवसर मिलता है, जो जीवन में शुभ परिणाम लाता है। भक्त इस दिन मां के इस रूप की आराधना करते हुए जाप करते हैं, जिससे उन्हें देवी की कृपा मिलती है।