बोतलबंद पानी की गुणवत्ता बनाम बुनियादी पेयजल

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की बोतलबंद पानी की गुणवत्ता वाली PIL

सुप्रीम कोर्ट ने बोतलबंद पेयजल (Packaged Drinking Water) के मौजूदा गुणवत्ता मानकों को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने देश की जमीनी हकीकत को लेकर बेहद कड़ी और महत्वपूर्ण टिप्पणी की।

याचिकाकर्ता की दलील

याचिकाकर्ता ने अदालत में तर्क दिया कि वर्तमान में बोतलबंद पानी के लिए जो मानक (Standards) तय किए गए हैं, वे स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त नहीं हैं और इनमें सुधार की आवश्यकता है। याचिका में बोतलबंद पानी की शुद्धता और उसके विनिर्माण (Manufacturing) मानदंडों को और सख्त बनाने की मांग की गई थी।

मुख्य न्यायाधीश (CJI) की सख्त टिप्पणी

CJI चंद्रचूड़ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि भारत जैसे देश में, जहां एक बड़ी आबादी के पास पीने के साफ पानी की बुनियादी पहुंच भी नहीं है, वहां बोतलबंद पानी के “प्रीमियम” मानकों पर बहस करना विलासिता जैसा है।

CJI के मुख्य बिंदु:

  1. बुनियादी आवश्यकता: “हमारे देश में बहुत से लोगों के पास पीने के पानी (Drinking Water) तक पहुंच नहीं है, और आप बोतलबंद पानी की गुणवत्ता की बात कर रहे हैं?”
  2. जमीनी हकीकत: अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि प्राथमिकता उन लोगों को पानी उपलब्ध कराने की होनी चाहिए जिन्हें न्यूनतम आवश्यकता भी नहीं मिल पा रही है।
  3. न्यायिक हस्तक्षेप की सीमा: पीठ ने संकेत दिया कि ऐसे तकनीकी मानकों को तय करना नियामक संस्थाओं (Regulatory Bodies) का काम है, न कि अदालतों का, खासकर तब जब देश में व्यापक स्तर पर जल संकट मौजूद हो।

याचिका खारिज होने के मायने

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला स्पष्ट करता है कि अदालत नीतिगत और तकनीकी मानकों में हस्तक्षेप करने के बजाय बुनियादी अधिकारों (जैसे पानी तक पहुंच) को अधिक महत्व देती है। अदालत ने इस बात को रेखांकित किया कि बोतलबंद पानी एक व्यावसायिक उत्पाद है, जबकि सरकार की प्राथमिकता सभी नागरिकों को सामान्य पेयजल उपलब्ध कराना होनी चाहिए।

निष्कर्ष: सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह ऐसी याचिकाओं को प्रोत्साहन नहीं देगा जो व्यापक जनहित के बजाय केवल एक विशिष्ट वर्ग (बोतलबंद पानी के उपयोगकर्ताओं) की चिंताओं तक सीमित हों, जबकि देश की बहुसंख्यक आबादी अभी भी बुनियादी पेयजल के लिए संघर्ष कर रही है।

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