ब्रिटेन की राजनीति में बढ़ रहा भारतीय मूल के लोगों का दबदबा
ब्रिटेन में गुरुवार को होने वाले आम चुनाव में अच्छी खासी संख्या में भारतीय मूल के सांसद जीतकर संसद पहुंच सकते हैं। माना जा रहा है कि ब्रिटेन की आगामी संसद देश के इतिहास की सबसे विविधतापूर्ण संसद हो सकती है, जहां अल्पसंख्यक वर्गों को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलने की उम्मीद है। ब्रिटेन के फ्यूचर थिंक टैंक की समीक्षा में ऐसा दावा किया जा रहा है। लेबर पार्टी से सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक वर्ग से सांसद चुने जा सकते हैं। विभिन्न सर्वेक्षणों में दावा किया जा रहा है कि लेबर पार्टी को आगामी चुनाव में जनता का जबरदस्त समर्थन मिल सकता है।
थिंक टैंक के अनुसार, अगली संसद में 14 प्रतिशत सांसद अल्पसंख्यक वर्ग से हो सकते हैं। साल 2019 में हुए आम चुनाव में भारतीय मूल के 15 सांसद जीत हासिल कर संसद पहुंचे थे, उनमें से कई इस बार भी चुनाव मैदान में हैं। कंजर्वेटिव पार्टी के आलोक शर्मा और लेबर पार्टी के विरेंद्र शर्मा इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इलिंग साउथहॉल सीट पर बड़ी संख्या में पंजाबी मूल के मतदाता हैं। यही वजह है कि इस सीट से भारतीय मूल के दो उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं, जिनमें संगीत कौर और जगिंदर सिंह का नाम शामिल है। इनके अलावा इसलिंगटन नॉर्थ सीट से लेबर पार्टी के टिकट पर प्रफुल नरगुंड चुनाव लड़ रहे हैं। यहीं से लेबर पार्टी के पूर्व दिग्गज नेता जेरेमी कोर्बिन बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। कोर्बिन को लेबर पार्टी ने बर्खास्त कर दिया था।
इफोर्ड साउथ सीट से लेबर पार्टी के टिकट पर जस अटवाल, डर्बी साउथ सीट से बैगी शंकर, साउथंपटन टेस्ट से सतवीर कौर, हडर्सफील्ड सीट से हरप्रीत उप्पल चुनाव लड़ रहे हैं। इंदौर में जन्मे लंदन के पूर्व डिप्टी मेयर राजेश अग्रवाल लीसेस्टर ईस्ट सीट से पहली बार सांसद बनने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मुकाबला ब्रिटिश भारतीय कंजर्वेटिव उम्मीदवार शिवानी राजा से है। इस सीट पर भारतीय मूल के मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद है। इस सीट पर सभी की निगाहें लगी रहेंगी, क्योंकि यहां से लंबे समय तक सांसद रहे गोवा मूल के कीथ वाज भी इस बार बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। मध्य इंग्लैंड के वॉल्वरहैम्प्टन वेस्ट से सॉलिसिटर वारिंदर जूस और स्मेथविक से गुरिंदर सिंह जोसन लेबर पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं।