“एक देश-एक चुनाव” बिल को लोकसभा में मंजूरी मिली, जिसमें पक्ष में 269 वोट और विपक्ष में 198 वोट थे. इसे जेपीसी को भेजा गया।
“एक देश-एक चुनाव” बिल को लोकसभा में मंजूरी मिली, जिसमें पक्ष में 269 वोट और विपक्ष में 198 वोट थे. इसे जेपीसी को भेजा गया।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने देश का चुनाव वाला विधेयक लोकसभा में पेश किया। कांग्रेस, टीएमसी और सपा इसका विरोध करते हैं। जनता दल युनाइटेड भाजपा को समर्थन देता है, लेकिन सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने पूछा कि आखिर इस बिल को लाने की क्या जरूरत है? वे कहते हैं कि यह तानाशाही थोपने का प्रयास है।
लोकसभा में मत विभाजन के बाद, एक देश-एक चुनाव विधेयक पेश किया गया। विधेयक को सदन में पेश करने के प्रस्ताव के पक्ष में 269 सांसदों ने मतदान किया, जबकि इसके खिलाफ 198 ने मतदान किया।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को सदन में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के माध्यम से विभाजित बिल पेश किया। अब बिल संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में भेजा जाएगा।
मंगलवार को मेघवाल ने संसद के निचले सदन में “संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024” और “संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024” को पुर:स्थापित करने का प्रस्ताव रखा, जो देश में दोनों लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की अनुमति देता है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन पर चर्चा या पारित होने के लिए मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, और इस बिल को बहस के लिए संसदीय समिति के पास भी भेजा जा सकता है। उसने कहा, “जब कैबिनेट के पास एक देश का चुनाव आया था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाना चाहिए। हर स्तर पर इसकी व्यापक चर्चा की जानी चाहिए।’
विभिन्न दलों के सांसदों की संख्या पर संयुक्त समिति बनाई जाएगी. सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को समिति की अध्यक्षता मिलेगी, जिसमें उसके बहुत से सदस्य होंगे।
EVM पर आपत्ति-
बिल पर 269 लोगों ने मतदान किया, जबकि 198 लोग इसे खारिज करते हैं। मुख्य बात यह है कि सदन में गृहमंत्री शाह ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग पर आपत्ति व्यक्त की है, जिस पर बिरला ने कहा कि अगर किसी सदस्य को लगता है कि वोटिंग गलत हुई है, तो वह पर्ची देकर अपना वोट बदल सकता है।