छत्तीसगढ़: सुकमा के पूवर्ती गांव में पहुंची फोर्स, अब विकास कार्य में आई तेज़ी
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सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले का पूवर्ती गांव, जो कभी खूंखार नक्सली हिड़मा और उसके साथियों का गढ़ माना जाता था, अब बदलाव की नई कहानी लिख रहा है। आज़ादी के 76 साल बाद भी जहां यह गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित था, वहीं अब प्रशासन और सुरक्षा बलों की पहल से यहां विकास कार्य तेज़ी पकड़ रहे हैं। सुरक्षा बलों ने इस गांव में कैंप स्थापित कर लिया है, जिससे नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लग रहा है। इसके साथ ही बीआरओ (Border Roads Organisation) द्वारा सड़क निर्माण कार्य शुरू हो चुका है और बिजली कंपनी भी इस क्षेत्र तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
फोर्स कैंप बनने के बाद घटी दहशत, विकास को मिला बढ़ावा
इससे पहले पूवर्ती गांव और आसपास के इलाकों में नक्सलियों का खौफ बना हुआ था, जिसके चलते यहां सड़क, बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच सकीं। लेकिन अब सीआरपीएफ और पुलिस बलों के कैंप स्थापित करने के बाद गांव में सुरक्षा व्यवस्था मज़बूत हो गई है। स्थानीय लोग भी अब राहत की सांस ले रहे हैं, क्योंकि फोर्स की मौजूदगी के कारण नक्सली हमलों में कमी आई है।
बिजली और सड़क निर्माण कार्य में आई तेज़ी
पूवर्ती गांव के अलावा उसूर, कोंटा, बेदरे, मंकीमारका, साकलोड, मुतवेंडी, कुरूस, कांवड़गांव और धरमावरम जैसे धुर नक्सल प्रभावित गांवों तक बिजली पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी ने यहां ट्रांसमिशन लाइन बिछाने का कार्य शुरू कर दिया है।
ठेकेदारों को दिए सख्त निर्देश, जल्द पूरा होगा काम
बीजापुर जिले के कोंडापल्ली गांव में हाल ही में बिजली परियोजना का निरीक्षण किया गया। इस दौरान जगदलपुर क्षेत्र के कार्यपालक निदेशक एसके ठाकुर, अधीक्षण अभियंता नवीन पोयाम और बीजापुर के कार्यपालन अभियंता उर्वशा ने प्रोजेक्ट का जायजा लिया। उन्होंने ठेकेदारों को जल्द से जल्द काम पूरा करने के निर्देश दिए, ताकि नक्सल प्रभावित ग्रामीणों को जल्द से जल्द बिजली मिल सके।
अब गांवों तक पहुंचेगा विकास, नक्सलियों की पकड़ होगी कमजोर
विशेषज्ञों का मानना है कि जब गांवों में सड़क, बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाएं पहुंचेंगी, तो नक्सलियों का प्रभाव कम होगा और स्थानीय लोग मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे। इससे प्रशासन और सुरक्षा बलों को भी नक्सलवाद के खिलाफ अभियान चलाने में अधिक मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
सुकमा का पूवर्ती गांव जो कभी लाल आतंक के साये में था, अब बदलाव की ओर बढ़ रहा है। सुरक्षा बलों के कैंप बनने से जहां नक्सलियों की दहशत कम हुई है, वहीं सड़क और बिजली जैसी सुविधाओं का विस्तार इस क्षेत्र में एक नई सुबह लेकर आ रहा है। सरकार और प्रशासन की यह पहल न केवल बस्तर संभाग बल्कि पूरे राज्य के लिए नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।