भारत की ‘सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी’ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। यह मामला स्टर्लिंग बायोटेक समूह के उद्योगपति सगे भाई नितिन और चेतन संदेसरा (Sandesara Brothers) से जुड़ा है, जिन पर बैंकों के साथ 1.6 अरब डॉलर (लगभग ₹13,300 करोड़) की धोखाधड़ी का आरोप है।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने संदेसरा बंधुओं को आपराधिक आरोपों से राहत पाने का एक और मौका दिया है। कोर्ट ने उन्हें आदेश दिया है कि वे बैंक धोखाधड़ी मामले में बकाया राशि का एक-तिहाई (One-Third) हिस्सा भुगतान करें।
- राहत की शर्त: कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर दोनों भाई इस बकाया राशि का एक-तिहाई भुगतान नहीं करते हैं, तो उन पर दर्ज आपराधिक आरोप नहीं हटाए जाएंगे और उन पर आगे की कार्रवाई जारी रहेगी।
- सेटलमेंट राशि: संदेसरा बंधुओं के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि वे लगभग 570 मिलियन डॉलर (बकाया राशि का एक तिहाई) के सेटलमेंट के लिए तैयार हैं।
- अंतिम तिथि: सुप्रीम कोर्ट ने इस भुगतान को पूरा करने के लिए 17 दिसंबर की अंतिम तिथि तय की है।
फरार आरोपी और ‘इन-अबसेंटिया ट्रायल’
संदेसरा बंधु, जो बैंकों से लिए गए कर्ज में डिफॉल्ट के आरोपों के बाद 2017 में अल्बानियाई पासपोर्ट पर भारत से फरार हो गए थे, लगातार आरोपों से इनकार करते रहे हैं।
- भगोड़े आर्थिक अपराधी: ये दोनों भाई 2018 के भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के तहत नामित 14 भगोड़े आर्थिक अपराधियों की सूची में शामिल हैं। इस सूची में विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे अन्य हाई-प्रोफाइल आरोपी भी शामिल हैं।
- अल्बानियाई पासपोर्ट: दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने हाल ही में संदेसरा बंधुओं पर ‘इन-अबसेंटिया ट्रायल’ (फरार आरोपी की अनुपस्थिति में सुनवाई) शुरू करते हुए आपराधिक आरोप तय किए थे।
कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि इस फैसले को मिसाल (Precedent) के तौर पर नहीं माना जाएगा, हालांकि राजनीतिक और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस आदेश से अन्य आर्थिक धोखाधड़ी के मामलों में भी आरोपी दलील देकर राहत पाने का रास्ता तलाश सकते हैं।