Breaking Newsछत्तीसगढ़

नारायणपुर: नक्सली मुठभेड़ में मारी गई महिला की पहचान शिक्षक की बहन के रूप में हुई,

अबूझमाड़ में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 31 नक्सलियों में से एक की पहचान नारायणपुर के मोहंदी गांव की निवासी और 8 लाख की इनामी नक्सली शामबती उर्फ मीना के रूप में हुई है

नारायणपुर:अबूझमाड़ में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 31 नक्सलियों में से एक की पहचान नारायणपुर के मोहंदी गांव की निवासी और 8 लाख की इनामी नक्सली शामबती उर्फ मीना के रूप में हुई है। मीना, जो कभी 8वीं कक्षा की छात्रा थी, नक्सली संगठन में शामिल होने के बाद एक कुख्यात नक्सली बन गई। लेकिन, उसकी मौत के बाद उसके परिवार ने शर्मिंदगी के कारण गांव में अंतिम संस्कार नहीं किया।

परिवार की शर्मिंदगी

मीना का बड़ा भाई अगनू मरकाम शिक्षक है, और उसकी बहन के नक्सली संगठन से जुड़े होने के कारण परिवार शर्मिंदा था। यही कारण था कि मीना का शव गांव नहीं ले जाया गया। परिवार के सदस्य दंतेवाड़ा पहुंचे, लेकिन उन्होंने वहां ही अंतिम संस्कार कर दिया। उनका कहना था कि जब मीना नक्सली बनी, उसी दिन परिवार ने उसे मृत मान लिया था।

मीना की नक्सली यात्रा

मीना, कोहकामेटा के बालिका आश्रम में रहकर पढ़ाई कर रही थी, जब 1999 में वह नक्सली संगठन में शामिल हो गई। परिवार को यह स्पष्ट नहीं है कि उसे नक्सली जबरन लेकर गए थे या वह खुद शामिल हुई थी। नक्सली बनने के बाद, वह मीना नाम से जानी जाने लगी और संगठन में उसकी पहचान मजबूत हो गई।

अन्य नक्सलियों के शव

मुठभेड़ में मारे गए अन्य नक्सलियों में से 7 के शव डिमरापाल मेडिकल कॉलेज लाए गए थे, जिनमें से 5 के शव परिजनों ने ले लिए हैं, जबकि 2 शव अभी भी मेडिकल कॉलेज में हैं।

यह घटना नक्सली हिंसा से जुड़ी जटिलताओं को उजागर करती है, जहां परिवार अपनी पहचान और देशभक्ति के बीच संघर्ष कर रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button