विदेश

अमेरिका में झूठ बोल एडमिशन लिया, पर सोशल मीडिया से पकड़ा गया भारतीय; आखिर कैसे…

अमेरिका में फर्जी और मनगढंत कहानी बनाकर एडमिशन लेने वाले एक 19 वर्षीय भारतीय छात्र को निष्कासित कर दिया गया है।

उसे जल्द ही अमेरिका से निर्वासित भी किया जाएगा। दरअसल यह पता चला है कि उसका पूरा एडमिशन एप्लीकेशन ही फर्जी था।

इसमें फुल स्कॉलरशिप के डॉक्यूमेंट्स भी शामिल हैं। इसका खुलासा एक रेडिट पोस्ट (सोशल मीडिया) से हुआ। 

इस भारतीय छात्र का नाम आर्यन आनंद बताया जा रहा है। उसने सोशल नेटवर्किंग साइट रेडिट पर “मैंने अपना जीवन और कैरियर झूठ पर बनाया है” नाम से एक पोस्ट लिखी थी। बाद में किसी रेडिट मॉडरेटर ने इस पोस्ट को फ्लैग कर दिया।

यानी उस मॉडरेटर ने इस फर्जी कारनामे को लेकर यूनिवर्सिटी को आगाह कर दिया। अब उस छात्र के खिलाफ एक्शन लिया गया है। 

क्या है पूरा मामला?

छात्र आर्यन आनंद ने फुल स्कॉलरशिप पाने के लिए अपने पिता की मौत का नाटक किया था। आर्यन आनंद ने अगस्त 2023 में पेंसिल्वेनिया के बेथलेहम में स्थित लेह विश्वविद्यालय में प्रथम वर्ष के छात्र के रूप में दाखिला लिया था।

लेकिन पता चला है कि उसने अपने पिता की मौत का फर्जी मृत्यु प्रमाण दिया था। इस धोखाधड़ी का खुलासा होने के बाद उसका एडमिशन रद्द कर दिया गया।

लेहवैली लाइव न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, छात्र के वकील मौली हेइडोर्न ने बताया कि उसने 12 जून को जालसाजी करने का अपना अपराध स्वीकार कर लिया और नॉर्थम्प्टन काउंटी जेल में उसे एक से तीन महीने की सजा सुनाई गई। 

समझौते के तहत, आर्यन आनंद भारत लौटने के लिए सहमत हो गया और लेहाई विश्वविद्यालय ने $85,000 (लगभग 70 लाख रुपये) की क्षतिपूर्ति वसूल नहीं करने का फैसला लिया है।

इसके अलावा, छात्र से चोरी और अभिलेखों से छेड़छाड़ के आरोप हटा दिए गए। विज्ञप्ति के अनुसार, आनंद को शुरू में 30 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया और ये आरोप लगाए गए।

धोखाधड़ी की पूरी कहानी रेडिट पर “मैंने अपना जीवन और कैरियर झूठ पर बनाया है” शीर्षक वाली पोस्ट के बाद सामने आई।

डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी स्टीफन बरट्टा के कार्यालय से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, अमेरिका में भारतीय छात्र ने अपनी योजना के तहत अपने पिता के लिए गलत ट्रांसक्रिप्ट, वित्तीय दस्तावेज और फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की बात कबूल की है।

उसके पिता जिंदा हैं। विज्ञप्ति में यह भी उल्लेख किया गया है कि 19 वर्षीय छात्र ने खुद को एक स्कूल प्रिंसिपल बताने के लिए एक फर्जी ईमेल एड्रेस भी बनाया था।

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