छत्तीसगढ़

जनजातीय गौरव माह पर आयोजित संगोष्ठी में आदिवासी समाज के योगदान पर चर्चा

छत्तीसगढ़ के शासकीय दूधाधारी बजरंग महिला महाविद्यालय में 15 नवंबर को राष्ट्रीय आदिवासी दिवस के अवसर पर “जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत, ऐतिहासिक, सामाजिक और आध्यात्मिक योगदान” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य आदिवासी समाज के ऐतिहासिक योगदान को सम्मानित करना और उनके सामाजिक उत्थान में उनके महत्वपूर्ण योगदान को उजागर करना था।

कार्यक्रम का स्वागत और उद्घाटन

कार्यक्रम की संयोजक डॉ. बी एम लाल ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि, “हम आज जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत को याद करने के लिए एकत्रित हुए हैं। हम उन लोक नायकों और वीर योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे जिन्होंने अपने बलिदान से समाज की रक्षा की। वीर नारायण सिंह जैसे अमर बलिदानियों ने आदिवासी समुदाय की रक्षा के लिए संघर्ष किया।”

आदिवासी समाज का गौरवशाली इतिहास

विशिष्ट अतिथि समाजसेवी हिम्मत सिंह अरमो ने उद्घाटन करते हुए कहा कि “आदिवासी समाज अतीत में सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। यह समाज 700 साल से अधिक पुराना गौरवशाली इतिहास रखता है। रानी दुर्गावती जैसी वीरांगनाओं की शहादत को याद करना चाहिए। आदिवासी समाज ने सदैव अपनी मातृभूमि के लिए संघर्ष किया और अपने परंपराओं को बनाए रखा।”

बिरसा मुंडा और आदिवासी समाज के योगदान पर चर्चा

पूर्व आईएएस अधिकारी फूलसिंह नेताम ने भगवान बिरसा मुंडा के योगदान पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि “बिरसा मुंडा ने समाज के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। मुगलों और अंग्रेजों के शासन काल में आदिवासी नायकों ने संघर्ष किया। शंकर शाह रघुनाथ शाह, गेंद सिंह और वीर गुण्डाधुर जैसे नायक आदिवासी समाज के वीर प्रतीक हैं।”

आदिवासी समाज का आदर्श और संस्कृति

मुख्य अतिथि नीलकंठ टेकाम, विधायक केशकाल ने कहा कि “आदिवासी समाज प्रकृति को अपने जीवन का अभिन्न अंग मानता है। आदिवासियों के बारे में जो गलतफहमियां फैली हुई हैं, उन्हें दूर करना आवश्यक है। आदिवासी संस्कृति समृद्ध और सशक्त संस्कृति है, और रायपुर को बसाने का श्रेय एक आदिवासी, रायसिंह गोंड को जाता है।”

आदिवासी समाज की जीवनशैली पर प्रकाश

विशिष्ट वक्ता डॉ. शंपा चौबे ने बताया कि “आदिवासी समाज में जन्म से मरण तक सब उत्सव और अनुष्ठान के रूप में मनाया जाता है। यह जीवन में उत्साह और सरसता का संचार करता है। आदिवासी समाज का वास्तविक संबंध प्रकृति और स्व से है, जो उनकी पहचान है।”

आधुनिक समाज और आदिवासी समाज का अंतर

विशेष संवाददाता राकेश पांडे ने कहा कि “आदिवासी समाज एक सहेजने वाला समाज है, जबकि नगरीय समाज इसे बिगाड़ कर आधुनिकता का पाठ पढ़ा रहा है। आदिवासी समाज के लिए जंगल आत्मा के समान है, और नगरीय समाज उसे आजीविका का साधन मानता है।”

समारोह के अंतर्गत अन्य कार्यक्रम

संगोष्ठी में कविता ठाकुर ने मंच संचालन किया, और कैरोलिन एक्का ने धन्यवाद ज्ञापन किया। आयोजन समिति के सदस्य डॉ. गौतमी भतपहरी, संध्या ठाकुर और मिलाप सिंह ध्रुव ने कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित किया।

 

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