रेवेन्यू बढ़ाने के लिए Ultraviolette का नया प्लान, अन्य कंपनियों को बेचेगी अपनी EV बैटरी टेक्नोलॉजी

बेंगलुरु: भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन (EV) स्टार्टअप Ultraviolette Automotive, जो अपनी परफॉर्मेंस-ओरिएंटेड इलेक्ट्रिक बाइक के लिए जानी जाती है, अब राजस्व (Revenue) का एक नया स्रोत तलाश रही है। कंपनी ने संकेत दिया है कि वह अपनी उन्नत इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी तकनीक को लाइसेंस के तौर पर अन्य निर्माताओं को देने के लिए तैयार है।

ईवी स्टार्टअप्स को आमतौर पर फैक्ट्री बनाने और बैटरी तथा कंपोनेंट्स की उच्च लागत के कारण भारी नकदी खर्च (Cash Burn) का सामना करना पड़ता है। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि टेक्नोलॉजी को लाइसेंस देने से कंपनियों को मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और उत्पाद पोर्टफोलियो का विस्तार करने के लिए आवश्यक पूंजी मिल सकती है, जिससे उन्हें अधिक वित्तीय लचीलापन मिलेगा।

किन क्षेत्रों से मिल रही रुचि?

Ultraviolette Automotive के सीईओ नारायण सुब्रमण्यम ने रॉयटर्स को बताया कि कंपनी अन्य राजस्व स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रही है, जो टेक्नोलॉजी से जुड़े हैं।

सुब्रमण्यम ने कहा, “हमें ईवी निर्माताओं, अंतरिक्ष तकनीक उपकरण बनाने वाली कंपनियों और यहाँ तक कि परफॉर्मेंस हाइड्रोप्लेन बनाने वाली कंपनियों से भी रुचि मिली है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि फ़िलहाल, कंपनी का मुख्य ध्यान भारत और यूरोप में अपनी उपस्थिति और उत्पाद पोर्टफोलियो को मजबूत करने पर केंद्रित है।

वैश्विक चलन का हिस्सा

Ultraviolette का यह कदम अमेरिकी ईवी स्टार्टअप्स Rivian और Lucid Motors की रणनीति के समान है, जो लाभ कमाने के लिए वाहन बिक्री से परे जाकर अपनी ईवी तकनीक का लाइसेंस दे रहे हैं या उसकी आपूर्ति कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि पूंजी-गहन स्टार्टअप्स अब लाभप्रदता के लिए नए रास्ते तलाश रहे हैं।

Ultraviolette ने हाल ही में भारत और यूरोप में ग्राहकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से X47 इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल लॉन्च की है। कंपनी अपनी बाइक्स को प्रीमियम सेगमेंट में रखती है, जो प्रदर्शन-केंद्रित मॉडल और उन्नत सुविधाओं के लिए अधिक भुगतान करने को तैयार ग्राहकों को लक्षित करती है।

पिछले महीने ही, Ultraviolette ने जापान की TDK वेंचर्स के नेतृत्व में एक फंडिंग राउंड में $21 मिलियन जुटाए थे, जिसमें Zoho Corporation और Lingotto ने भी भाग लिया था। हालांकि, कंपनी के प्रतिद्वंद्वी Ather Energy के सीईओ तरुण मेहता ने पिछले महीने रॉयटर्स को बताया था कि उनकी कंपनी अपनी तकनीक को लाइसेंस देने पर विचार नहीं कर रही है।

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