छत्तीसगढ़ में मेडिकल कॉलेजों की बेतहाशा वृद्धि, लेकिन फैकल्टी की भारी कमी
छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेजों में 50% फैकल्टी पद खाली हैं। सरकार नए कॉलेज खोलने की तैयारी में है, लेकिन शिक्षकों की भारी कमी बनी हुई है। जानिए पूरी रिपोर्ट।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मेडिकल कॉलेजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन प्रशिक्षित फैकल्टी की भारी कमी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। वर्तमान में राज्य में 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं, लेकिन इन संस्थानों में 847 शिक्षकों के स्वीकृत पदों में से केवल 437 ही भरे गए हैं। यानी 50% पद रिक्त हैं।
नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) द्वारा हर बार मान्यता को लेकर आपत्ति दर्ज की जाती है, लेकिन अस्थायी समाधान निकालकर कॉलेजों को ‘जीरो ईयर’ से बचाया जाता है।
राज्य के मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की स्थिति
राज्य शासन के अनुसार, छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेजों में निम्नलिखित पदों की भारी कमी बनी हुई है:
- प्राध्यापक: 148 स्वीकृत पद, केवल 84 पद भरे
- सह-प्राध्यापक: 274 स्वीकृत पद, केवल 138 पद भरे
- सहायक प्राध्यापक: 425 स्वीकृत पद, केवल 215 पद भरे
इस तरह, कुल 847 स्वीकृत पदों में से 437 पद रिक्त हैं, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
संविदा भर्ती का संकट
शासकीय मेडिकल कॉलेजों में बड़ी संख्या में चिकित्सक संविदा (Contract) आधार पर कार्यरत हैं, लेकिन उन्हें अब तक नियमित (Permanent) नहीं किया गया है।
- कई डॉक्टर रिटायरमेंट की उम्र में पहुंच चुके हैं, लेकिन उनकी सेवा स्थायी नहीं की गई।
- संविदा भर्ती में भविष्य की अनिश्चितता के कारण योग्य उम्मीदवार भी आवेदन करने से बच रहे हैं।
14 मेडिकल कॉलेजों का लक्ष्य, लेकिन फैकल्टी कहां से आएगी?
राज्य सरकार हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना के तहत कबीरधाम, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी, जांजगीर-चांपा और दंतेवाड़ा में चार नए मेडिकल कॉलेज खोलने जा रही है।
- जब पहले से 50% पद रिक्त हैं, तो नए कॉलेजों में पढ़ाने के लिए शिक्षक कहां से आएंगे?
- नए कॉलेजों के लिए अतिरिक्त फैकल्टी की तत्काल भर्ती जरूरी है।
फैकल्टी भर्ती में रुचि नहीं ले रहे डॉक्टर
रायपुर मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की कमी को पूरा करने के लिए संविदा भर्ती निकाली गई थी, लेकिन स्थिति चौंकाने वाली रही:
- 150 से अधिक पदों के लिए केवल 18 लोगों की भर्ती हो पाई।
- कई पद ऐसे थे, जिनके लिए एक भी आवेदन नहीं आया।
विभागवार रिक्त पदों की स्थिति
विभाग | प्राध्यापक (रिक्त) | सह-प्राध्यापक (रिक्त) | सहायक प्राध्यापक (रिक्त) |
---|---|---|---|
मेडिसिन | 7 | 22 | 24 |
रेस्पेरेटरी | 3 | 3 | 6 |
डर्मेटोलॉजी | 3 | 3 | 8 |
पीडियाट्रिक्स | 6 | 12 | 16 |
सर्जरी | 8 | 18 | 25 |
अस्थि रोग | 6 | 8 | 12 |
नेत्र रोग | 4 | 10 | 12 |
स्त्री रोग | 8 | 11 | 18 |
ईएनटी | 7 | 5 | 15 |
निश्चेतना | 9 | 12 | 21 |
रेडियोडायग्नोसिस | 4 | 4 | 5 |
रेडियोथेरेपी | 4 | 4 | 13 |
एनाटॉमी | 3 | 13 | 12 |
फिजियोलॉजी | 6 | 8 | 8 |
बायोकेमिस्ट्री | 6 | 5 | 9 |
क्या है समाधान?
- संविदा डॉक्टरों को नियमित करने की प्रक्रिया तेज की जाए।
- फैकल्टी पदों पर स्थायी भर्ती की जाए ताकि योग्य उम्मीदवार इसमें रुचि लें।
- नई भर्ती प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और आकर्षक वेतनमान दिया जाए।
- नए कॉलेज खोलने से पहले मौजूदा कॉलेजों में फैकल्टी की संख्या पूरी की जाए।