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पूजा खेडकर के मामले में UPSC का विरोध: बेल का मामला और गिरफ्तारी की मांग
दिल्ली: फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) परीक्षा में चयनित होने के आरोप में पूजा खेडकर ने दिल्ली हाई कोर्ट में अंतरिम जमानत की अपील की थी। इस पर UPSC ने सख्त विरोध किया है और अदालत से मांग की है कि खेडकर को बेल न दी जाए। UPSC का कहना है कि पूजा खेडकर की गिरफ्तारी और पूछताछ जरूरी है ताकि यह पता चल सके कि इस धोखाधड़ी में कितने लोग शामिल थे।
UPSC का विरोध और तर्क:
- एफिडेविट में आरोप: UPSC ने अदालत में दाखिल किए गए 16 पन्नों के एफिडेविट में कहा है कि पूजा खेडकर ने आईएएस परीक्षा में चयनित होने के लिए धोखाधड़ी की। उसने फर्जी दस्तावेज बनाए, जिनमें दिव्यांगता और जाति से संबंधित गड़बड़ियाँ शामिल हैं। इसके अलावा, उसने अपने नाम और परिजनों के नाम भी बदल दिए।
- जांच की आवश्यकता: UPSC का कहना है कि यह मामला केवल एक व्यक्ति की धोखाधड़ी नहीं है। इसमें कुछ और लोग भी शामिल हैं जिन्होंने खेडकर की मदद की। इसलिए, इन लोगों की पहचान के लिए खेडकर की पूछताछ आवश्यक है।
- सार्वजनिक छवि: UPSC ने बताया कि इस तरह के फ्रॉड से आयोग की छवि पर असर पड़ा है और यह आमतौर पर देखा नहीं जाता। उनका मानना है कि गलत दस्तावेजों के साथ परीक्षा में चयनित होना एक गंभीर मामला है और इसके लिए सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
- गिरफ्तारी की आवश्यकता: UPSC ने अदालत से कहा कि केवल जमानत से मामला नहीं सुलझेगा। गिरफ्तारी और पूछताछ के माध्यम से ही पूरे मामले की गहराई और अन्य संलिप्त लोगों के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
मामले की स्थिति:
- अंतरिम जमानत की अपील: पूजा खेडकर ने अंतरिम जमानत की अपील की थी, जो अब UPSC के विरोध के चलते चुनौतीपूर्ण हो गई है।
- आगे की प्रक्रिया: अदालत को अब यह तय करना है कि खेडकर को जमानत दी जाए या उसकी गिरफ्तारी का आदेश जारी किया जाए।