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उपराष्ट्रपति चुनाव: जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद नए चेहरे की तलाश तेज, इन बड़े नामों पर चर्चा

उपराष्ट्रपति चुनाव: जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद नए चेहरे की तलाश तेज, इन बड़े नामों पर चर्चा

नई दिल्ली: जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद देश के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पद, उपराष्ट्रपति, के लिए राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, जिसके बाद अब नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव छह महीने के भीतर, यानी सितंबर 2025 तक, अनिवार्य है। बिहार विधानसभा चुनावों के भी इसी समयावधि में होने के कारण, इस चुनाव को केवल संवैधानिक प्रक्रिया के रूप में नहीं, बल्कि आगामी चुनावी रणनीतियों के दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है। पिछले एक दशक में, बीजेपी सरकार ने प्रमुख संवैधानिक पदों की नियुक्तियों को आगामी चुनावों के संदर्भ में ही निर्धारित किया है।

संसदीय बहुमत और सहयोगी दलों की भूमिका: उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए लोकसभा और राज्यसभा के कुल 782 प्रभावी सदस्यों में से 394 वोटों की आवश्यकता होती है। वर्तमान में, बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 129 सांसदों का समर्थन है, जिससे वह स्पष्ट बहुमत में है। हालांकि, जेडीयू, टीडीपी और शिवसेना जैसे सहयोगी दलों का समर्थन बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि उनकी भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है।

उपराष्ट्रपति पद के लिए प्रमुख दावेदार (सत्ता पक्ष):

  • हरिवंश नारायण सिंह: वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति हैं और जेडीयू से जुड़े हुए हैं। उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के करीबी सहयोगियों में से एक माना जाता है और उनके पास राज्यसभा के संचालन का पर्याप्त अनुभव भी है। बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उनका नाम सबसे प्रमुखता से उभर रहा है।
  • जे.पी. नड्डा: उनका कार्यकाल मार्च 2025 में समाप्त हो रहा है और अमित शाह व नरेंद्र मोदी के साथ उनकी निकटता उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाती है।
  • निर्मला सीतारमण, नितिन गडकरी, मनोज सिन्हा और वसुंधरा राजे: बीजेपी की आंतरिक राजनीति में इन नेताओं के नामों पर भी चर्चा हो रही है, लेकिन इनमें से कोई भी ऐसा नाम नहीं है जो सभी राजनीतिक समीकरणों को संतुलित कर सके। मनोज सिन्हा को जातिगत समीकरणों के कारण कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • रामनाथ ठाकुर: कर्पूरी ठाकुर के पुत्र हैं, लेकिन हाल ही में उनके पिता को भारत रत्न मिलने के कारण बीजेपी के लिए बार-बार उसी परिवार को आगे बढ़ाना मुश्किल हो सकता है।
  • नीतीश कुमार: उनके स्वास्थ्य की स्थिति और स्वभाव को उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारियों के लिए उपयुक्त नहीं माना जा रहा है।

विपक्ष की स्थिति और संभावित दांव: विपक्षी INDIA ब्लॉक के पास केवल 150 वोट हैं, जिससे उनकी संभावनाएं काफी सीमित नजर आती हैं। इस बीच, कांग्रेस के भीतर असंतोष का सामना कर रहे शशि थरूर का नाम ‘सर्वमान्य उम्मीदवार’ के रूप में चर्चा में है। हालांकि, राजनीतिक विश्वसनीयता और पार्टी के नियंत्रण के दृष्टिकोण से यह संभावना बहुत कम नजर आती है, क्योंकि बीजेपी शायद थरूर जैसे व्यक्तित्व को आगे लाकर कांग्रेस को आंतरिक रूप से कमजोर करना चाहेगी।

कुल मिलाकर, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद के लिए राजनीतिक गलियारों में गतिविधियां तेज हो गई हैं, और आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इस चुनाव को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

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