जज और पत्नी के फोन भी क्या टैप करा रही थी सरकार, आरोपों पर बुरी तरह घिरे केसीआर…
फोन टैपिंग मामले की सुनवाई कर रही तेलंगाना हाईकोर्ट की बेंच को बुधवार को हैदराबाद के पुलिस कमिश्नर कोठाकोटा श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि पिछली बीआरएस सरकार ने एक हाईकोर्ट जज और उनकी पत्नी के फोन भी ट्रैक किए थे।
चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस टी विनोद कुमार की बेंच के सामने प्रस्तुत एक एफिडेविट में रेड्डी ने खुलासा किया कि आरोपी पुलिसकर्मियों ने जस्टिस के. सरथ और उनकी पत्नी के एक साल के कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर) निकलवाए थे और इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड (आईपीडीआर) भी हासिल किया था।
बेंच के सामने पेश किए गए अपने एफिडेविट में कमिश्नर ने कहा, “हमारी टीम ने टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर से यह जानकारी लेने के लिए हैदराबाद के मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट की अनुमति ली थी।”
पीठ ने फोन टैपिंग पर स्वतः संज्ञान लेते हुए दायर किए गए रिट याचिका पर सुनवाई फिर से शुरू की।
पुलिस कमिश्नर ने आगे कहा कि आरोपी स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच (एसआईबी) कर्मियों ने अपने आधिकारिक ईमेल से हैदराबाद में रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड के नोडल अधिकारी को अनुरोध भेजा था, जिसमें 9 सितंबर, 2023 को न्यायमूर्ति सरथ और उनकी पत्नी के फोन के सीडीआर और आईपीडीआर विवरण मांगे गए थे।
उन्होंने 10 सितंबर, 2022 से 9 सितंबर, 2023 की अवधि के लिए इन फोन के सीडीआर प्राप्त किए। कमिश्नर ने अपने हलफनामे में कहा कि दोनों फोन के आईपीडीआर विवरण 8 अगस्त, 2023 से 7 सितंबर, 2023 तक प्राप्त किए गए थे।
एफिवेडिट में कुछ और नाम भी शामिल हैं जिनके लिए आरोपी पुलिसकर्मियों ने सीडीआर और आईपीडीआर प्राप्त किया। उनमें नेता, ब्यूरोक्रेट, पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मी भी शामिल थे। इस सूची में तत्कालीन विपक्षी नेता ए रेवंत रेड्डी (अब सीएम), उनके भाई अनुमुला कोंडल रेड्डी और अनुमुला तिरुपति रेड्डी और कई विधायक शामिल थे।
कानून का हुआ है उल्लंघन- पुलिस
पुलिस आयुक्त ने कहा कि कानून का उल्लंघन करते हुए फोन टैपिंग की गई। उन्होंने कहा कि बिना किसी उचित कारण, जैसे कि सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में, मोबाइल नंबरों को इंटरसेप्ट किया गया यानी सीडीआर और आईपीडीआर डेटा इकठ्ठा किया गया।
उन्होंने आगे कहा कि फोन टैपिंग के लिए केंद्र या राज्य के गृह सचिव की अनुमति होनी चाहिए, लेकिन बीआरएस सरकार ने यह काम एसआईबी प्रमुख टी प्रभाकर राव को सौंपा, जो मामले में पहले आरोपी हैं। कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव को दो सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को होनी है।
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