खैरागढ़ में बारिश से नहीं, जिम्मेदारों की लापरवाही से हो रहा जलभराव: हर साल डूबता है शहर, नहीं मिल रहा स्थायी समाधान
खैरागढ़ में बारिश से नहीं, जिम्मेदारों की लापरवाही से हो रहा जलभराव: हर साल डूबता है शहर, नहीं मिल रहा स्थायी समाधान

खैरागढ़, छत्तीसगढ़: खैरागढ़ शहर हर साल मानसून के दौरान भारी जलभराव और बाढ़ की समस्या से जूझता है, लेकिन इसका कारण भारी बारिश नहीं, बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों की घोर लापरवाही और कुप्रबंधन है। यह समस्या कोई नई नहीं है; हर साल, अमनार नदी का पानी ओवरफ्लो होने से बाजार डूब जाते हैं, पुलों पर यातायात ठप हो जाता है और घरों में पानी घुस जाता है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण:
यह स्थिति शहरी कुप्रबंधन और दशकों की उपेक्षा का परिणाम है। रियासत काल में बने बड़े-बड़े नाले, जो कभी बारिश के पानी को आसानी से निकालने में सक्षम थे, अब अवैध अतिक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। उदाहरण के तौर पर, मानव मंदिर रेस्टोरेंट और जैन मंदिर के बीच का एक बड़ा नाला अब स्थायी दुकानों से अटा पड़ा है। यह स्पष्ट दर्शाता है कि निकासी व्यवस्था को कैसे बाधित किया गया है।
अस्थायी समाधान और स्थायी समस्या:
प्रशासन की सक्रियता केवल बाढ़ के दौरान ही दिखाई देती है, जब बचाव अभियान चलाए जाते हैं, मुआवजे की घोषणा की जाती है और अस्थायी राहत प्रदान की जाती है। हालांकि, बारिश रुकते ही प्रशासन फिर से निष्क्रिय हो जाता है और स्थायी समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। सरकारों और प्रतिनिधियों के बदलने के बावजूद, इस गंभीर समस्या का स्थायी हल नहीं निकल पाया है।
शहर नियोजन का अभाव:
जब तक सरकार और प्रशासन इस मुद्दे को केवल आपदा प्रबंधन के बजाय शहरी नियोजन के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में नहीं देखेंगे, तब तक खैरागढ़ हर साल बाढ़ का सामना करता रहेगा। इसके साथ ही, निवासियों की उम्मीदें और उनकी संपत्तियां भी हर मानसून में पानी में डूबती रहेंगी। शहर को इस वार्षिक त्रासदी से मुक्ति दिलाने के लिए तत्काल और प्रभावी शहरी नियोजन की आवश्यकता है, जिसमें जल निकासी प्रणालियों का नवीनीकरण और अवैध अतिक्रमणों को हटाना शामिल है।