छत्तीसगढ़

जहां बच्चों को नक्सली बंदूक थमाते थे, वहां AI से बच्चे अपना भविष्य बना रहे हैं –

जहां बच्चों को नक्सली बंदूक थमाते थे, वहां AI से बच्चे अपना भविष्य बना रहे हैं -

जगदलपुर – क्या है प्रकाश संश्लेषण? दंतेवाड़ा जिले के पोर्टाकेबिन, नक्सल प्रभावित भांसी के पीएमश्री आवासीय विद्यालय में आठवीं कक्षा के छात्र विकास अटरा ने कहा कि उसके मोबाइल फोन में चैट-जीपीटी (चैट-जेनेरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफार्मर) ने मनकू के प्रश्न को अपनी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) चैटबाट से समझाकर प्रकाश संश्लेषण की जानकारी दी।

जिले में 731 स्कूलों में AI में 32 हजार विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। विकास ने फिर कहा कि उसे समझ नहीं आया, इसलिए जैट-जीपीटी ने फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी दी। विकास मसेनार गांव का है।

शिक्षा क्षेत्र में आने वाला बदलाव-

उसके गांव का स्कूल नक्सलियों ने तोड़ दिया था, इसलिए वह भांसी पोर्टाकेबिन में रहकर पढ़ता है। नक्सल हिंसा से प्रभावित दंतेवाड़ा में शिक्षा हब बनाने पर देश भर में चर्चा हुई। दंतेवाड़ा में बच्चों को नक्सली बंदूक दी गई थी।

अब गांव-गांव में बच्चे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के माध्यम से देश-दुनिया के बारे में जानते हैं, क्योंकि नक्सलवादी गतिविधियों का अंत हो गया है। कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी और जिला पंचायत सीईओ जयंत नाहटा की शुरुआत से नक्सल क्षेत्र में शिक्षा में एक क्रांति हुई है।

सरली शिक्षा से प्राप्त ज्ञान-

बर्फ जमने का कारण क्या है? आकाश नीला क्यों है? AI बच्चों को ऐसे कई प्रश्नों की जानकारी देता है जो बच्चों के मन में हैं, लेकिन किताबों में नहीं हैं। गीदम की संगीता कहती है कि पढ़ना आनंददायक है। दंतेवाड़ा विकासखंड के कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, शिक्षक रमेश साहू बताते हैं। ऐसे स्कूल में AI से पढ़ाई शुरू करने पर बच्चे शिक्षक के बिना भी विषय को आसानी से समझ पाते हैं।

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