वे तीन ऐप कौन थे, जिसके जरिए पाक जासूसों ने लगाई थी ब्रह्मोस इंजीनियर निशांत अग्रवाल के लैपटॉप में सेंध…
इसी महीने की शुरुआत में नागपुर की जिला एवं सत्र अदालत ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को संवेदनशील जानकारी मुहैया कराने के आरोपी ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
कई अवार्ड जीतने वाला निशांत ब्रह्मोस मिसाइल बनाने वाली नागपुर की एक यूनिट में काम करता था। उस पर भारतीय दंड संहिता और सख्त ओएसए के विभिन्न प्रावधानों के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था।
निशांत को अदालत ने आईटी अधिनियम की धारा 66 (एफ) और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत दंडनीय अपराध के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 235 के तहत दोषी ठहराया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश ATS के जांच अधिकारी पंकज अवस्थी ने निशांत के मुकदमे के दौरान अपने बयान में कहा था कि ‘सेजल’ नाम की एक महिला ने पाकिस्तान से एक फेसबुक अकाउंट के जरिए निशांत से संपर्क किया था। इसी अकाउंट से उसने पाकिस्तानी जासूसों और निशांत अग्रवाल से भी चैट किया था।
जांच के दौरान चैट से पता चला कि कथित महिला पाकिस्तानी जासूसों के उस समूह का हिस्सा थी जो भारत में रक्षा कर्मचारियों को जाल में फंसाकर उनसे डिफेंस डेटा और टिप्स लिया करती थी।
अवस्थी ने अदालत को बताया कि सेजल के निर्देश पर ही निशांत अग्रवाल ने उसके द्वारा भेजे गए लिंक पर क्लिक किया था और 2017 में अपने निजी लैपटॉप पर तीन ऐप इंस्टॉल किए थे। ये ऐप थे: क्यूव्हिस्पर (Qwhisper), चैट टू हायर (Chat to Hire) और एक्स-ट्रस्ट (X-trust).
ये तीनों ऐप्स मैलवेयर थे जिसके जरिए निशांत के लैपटॉप में सेंधमारी कर डेटा चुराया गया था। निशांत के लैपटॉप में कई गोपनीय जानकारी थी।
जांच में दावा किया गया है कि ब्रह्मोस मिसाइल से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज निशांत के निजी कंप्यूटरों पर पाए गए थे, जो बीएपीएल के सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन है।
ऐसा कहा जाता है कि निशांत ने सेजल के साथ लिंक्ड-इन पर भी चैट की थी, जहां सेजल ने कथित तौर पर खुद को यूके की हेज़ एविएशन में एक भर्तीकर्ता के रूप में पेश किया था और निशांत को जॉब देने की पेशकश की थी।
बता दें कि निशांत को अक्टूबर 2018 में मिलिट्री इंटेलिजेंस (एमआई) और उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया था।
वह ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण करने वाले भारत-रूस संयुक्त उद्यम बीएपीएल के तकनीकी अनुसंधान अनुभाग में कार्यरत थे।
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