AI अब गाँवों में सीख रहा है’: क्यों भारत ने अपने ग्रामीण इलाकों को बनाया है Artificial Intelligence की नई प्रयोगशाला

AI in Rural India: क्यों सिखाई जा रही है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस गाँव-गाँव

दिल्ली से लेकर देवास, और मुंबई से मिर्जापुर तक, एक क्रांति खामोशी से फैल रही है। इसे न कोई बैनर चाहिए, न विज्ञापन। यह क्रांति है — Artificial Intelligence की आवाज़, जो अब भारत के गाँवों तक पहुँच चुकी है। भारत की ग्रामीण पृष्ठभूमि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) क्यों सिखाई जा रही है? यह सिर्फ तकनीक का प्रचार-प्रसार नहीं, बल्कि सामाजिक समानता, आर्थिक अवसर और आधुनिकता में भागीदारी सुनिश्चित करने की लड़ाई है। आज के समय में जब शहरों में डिजिटल प्रोद्योगिकी तेज़ी से आगे बढ़ रही है, गाँव जहाँ बिजली-पानी, इंटरनेट कनेक्शन, शिक्षा संसाधन आदि की चुनौतियाँ हैं, वहाँ AI प्रशिक्षण इन कमीओं को अवसरों में बदलने की चाबी बन गया है।

डिजिटल विभाजन (Digital Divide) को खत्म करना, Artificial Intelligence

भारत की अर्थव्यवस्था और शिक्षा का केंद्र पहले महानगरों में था। लेकिन गाँवों में लोग आज भी इंटरनेट, स्मार्टफोन, डिजिटल शिक्षा सामग्री, और तकनीकी ज्ञान से कटे हुए महसूस करते हैं।

  • सरकार की योजनाएँ जैसे Common Service Centres (CSCs) ने यह स्वीकार किया है कि गाँवों में पहुँचने की क्षमता बहुत ज़्यादा है, क्योंकि लगभग 90% गांवों में CSC मौजूद है। इनके जरिए, गांव-स्तर के उद्यमियों (Village Level Entrepreneurs, VLEs) को मुफ्त AI प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव है।
  • यह प्रशिक्षण डिजिटल साक्षरता (digital literacy) बढ़ाने, तकनीक से डर और हिचक को दूर करने का माध्यम है।

इस तरह AI प्रशिक्षण ग्रामीण युवाओं को यह एहसास दिलाता है कि तकनीक सिर्फ शहरों की चीज़ नहीं है — वह उनके दैनिक जीवन में भी उपयोगी हो सकती है।

आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के शब्दों में —
“AI should not be a metro privilege. It must become a village strength.”
“एआई सिर्फ मेट्रो शहरों की ताकत नहीं, गांवों की आत्मनिर्भरता का जरिया बनना चाहिए।”

जब गाँव बन गए ‘डेटा देवता’ के पाठशाला, Artificial Intelligence

रायगढ़ से लेकर नागौर तक के युवा आज स्थानीय CSC केंद्रों में कोडिंग नहीं, बल्कि “कनेक्शन” बना रहे हैं —
किसानों से, स्कूलों से, और भविष्य से।
AI अब किसी लैब का जादू नहीं, बल्कि खेतों और चौपाल का विज्ञान बन रहा है।

अश्विनी वैष्णव ने कहा था —

“This is not a scheme; it’s a movement. The next digital revolution will come from the sound of rural clicks, not urban keyboards.”

ग्रामीण भारत में AI प्रशिक्षण सिर्फ एक प्रौद्योगिकी अभियान नहीं है — यह सशक्तिकरण (empowerment), समावेशी विकास (inclusive growth) और एक नए भारत की तस्वीर है जहाँ गाँव सिर्फ सूचना के उपभोक्ता नहीं बल्कि आविष्कारक और तकनीक का हिस्सा होंगे।

यह बदलाव धीमी गति से माना जाए, लेकिन प्रभाव दूरगामी है: जब एक आंगनवाड़ी का बच्चा सीखने के समय चुन सकेगा, किसान मिट्टी-रोग-मौसम के संकेतों पर निर्णय ले सकेगा, गाँव-स्तर का युवा AI-उपकरणों का इस्तेमाल कर आर्थिक अवसर सृजित कर सकेगा।

AI का प्रशिक्षण ग्रामीण भारत के लिए “चुनौती से अवसर तक का पुल” है — और इसे बनाए रखने व बढ़ाने की ज़िम्मेदारी हम सभी की है।

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