लाल किले के स्वतंत्रता दिवस समारोह में राहुल गांधी और खड़गे क्यों नहीं हुए शामिल?
लाल किले के स्वतंत्रता दिवस समारोह में राहुल गांधी और खड़गे क्यों नहीं हुए शामिल?

दिल्ली: भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में इस बार एक अप्रत्याशित घटना देखने को मिली, जब कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे लाल किले पर आयोजित मुख्य समारोह से अनुपस्थित रहे। आजादी के बाद यह पहला मौका है, जब लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता इस राष्ट्रीय पर्व के मुख्य आयोजन में शामिल नहीं हुए। इस अनुपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12वीं बार लाल किले पर तिरंगा फहराकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया, लेकिन इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनने के लिए विपक्ष के प्रमुख नेताओं की गैर-मौजूदगी ने समारोह की भव्यता पर सवाल खड़े कर दिए। भाजपा ने कांग्रेस के इस कदम को राष्ट्र और संवैधानिक मूल्यों का अपमान बताते हुए तीखी आलोचना की। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि ऐसे राष्ट्रीय आयोजनों में शामिल होना एक संवैधानिक कर्तव्य है, और कांग्रेस ने इससे मुंह मोड़कर अपनी गैर-जिम्मेदाराना सोच का परिचय दिया है।
वहीं, कांग्रेस पार्टी ने अपनी अनुपस्थिति का कारण संवैधानिक गरिमा की रक्षा बताया। कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. अजय उपाध्याय ने कहा कि यह कोई व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है, बल्कि एक संवैधानिक पद की गरिमा का विषय है। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले साल राहुल गांधी को पिछली पंक्ति में बैठाया गया था, जबकि परंपरा के अनुसार विपक्ष के नेता को कैबिनेट मंत्रियों के बगल में अगली पंक्ति में स्थान दिया जाता है। कांग्रेस ने तर्क दिया कि वे इस ‘संवैधानिक गरिमा के उल्लंघन’ को रोकने के लिए समारोह में नहीं गए। डॉ. उपाध्याय ने कहा कि सरकार ने जानबूझकर ऐसा करके विपक्ष के पद का अनादर किया है।
इस पूरे घटनाक्रम ने देश की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। जहां भाजपा इसे विपक्ष की राष्ट्र विरोधी मानसिकता के रूप में पेश कर रही है, वहीं कांग्रेस इसे संवैधानिक पदों के प्रति सरकार की उपेक्षा का परिणाम बता रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद आने वाले समय में किस दिशा में जाता है और क्या भविष्य में ऐसे राष्ट्रीय आयोजनों में राजनीतिक मतभेद देखने को मिलेंगे।