नई दिल्ली: वैश्विक वित्तीय संस्थाओं वर्ल्ड बैंक (World Bank) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती पर गहरा विश्वास व्यक्त किया है। वर्ल्ड बैंक ने तो वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 6.5% कर दिया है, जो पहले 6.3% था।
विश्व बैंक के अनुसार, इस मजबूत वृद्धि का मुख्य कारण देश की घरेलू खपत (Domestic Consumption) का लगातार मजबूत बना रहना है। इस सकारात्मक रुझान के चलते भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
आगामी वर्षों के लिए अनुमान जहां एक ओर वर्ल्ड बैंक ने निकट भविष्य के लिए भारत की विकास दर को ऊपर किया है, वहीं उसने कुछ बाहरी जोखिमों के प्रति आगाह भी किया है। बैंक ने अपनी ताज़ा ‘दक्षिण एशिया विकास अपडेट’ रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए संभावित 50% टैरिफ और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव जैसे कारकों के कारण, वित्त वर्ष 2026-27 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान मामूली रूप से घटाकर 6.3% कर दिया गया है।
आईएमएफ और रेटिंग एजेंसियों का भरोसा वर्ल्ड बैंक के अलावा, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) भी लगातार यह अनुमान लगा रहा है कि भारत की विकास दर प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज बनी रहेगी। ग्लोबल रेटिंग एजेंसियां, जैसे स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (S&P), मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस और फिच रेटिंग्स ने भी भारत के मजबूत पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) और घरेलू मांग जैसे सकारात्मक आर्थिक संकेतकों के आधार पर भरोसा जताया है। आईएमएफ ने भारत की सॉवरेन रेटिंग के आउटलुक को ‘स्टेबल’ से ‘पॉजिटिव’ में अपग्रेड किया है, जो वैश्विक संस्थाओं के भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी और भविष्य की क्षमताओं पर व्यापक विश्वास को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि वैश्विक संस्थाओं को भारत की आर्थिक स्थिरता और वृद्धि पर पूरा भरोसा है।