दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट कर दिया है कि दिव्यांग छात्रों को समान और उचित शिक्षा का अधिकार सिर्फ सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूलों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह उन सभी निजी स्कूलों पर भी लागू होता है जिन्हें सरकार से मान्यता मिली हुई है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश के सभी मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में दिव्यांग बच्चों को समान अवसर और सभी जरूरी सुविधाएं मिलें, ताकि शिक्षा के क्षेत्र में उनकी भागीदारी पूरी तरह सुनिश्चित हो सके।
यह फैसला एक ऐसे मामले के बाद आया, जहां जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल ने ऑटिज्म से पीड़ित एक छात्रा को दोबारा प्रवेश देने के कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। कोर्ट ने इस मामले में न केवल स्कूल की याचिका को खारिज किया, बल्कि यह भी कहा कि स्कूलों की यह जिम्मेदारी है कि वे छात्रों में सीखने की किसी भी विशेष समस्या या विकलांगता का जल्द पता लगाएं और उन्हें दूर करने के लिए विशेष शिक्षण और सहायता प्रदान करें।
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि दिव्यांग व्यक्ति अधिकार अधिनियम के तहत दी गई सुविधाएं सिर्फ भेदभाव को रोकने के लिए नहीं हैं, बल्कि ये समाज में सभी के लिए समान अवसर और समावेशन के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए हैं। इस फैसले को शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो दिव्यांग बच्चों के लिए बेहतर भविष्य की राह खोलेगा। यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि न्यायपालिका समाज के हर वर्ग के लिए समान अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।