कोलकाता: दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान, कोलकाता के अर्जुनपुर अमरा सबाई क्लब द्वारा बनाया गया ‘मुखो मुखी’ नामक दुर्गा पूजा पंडाल इस साल एक प्रमुख आकर्षण बन गया है। इस पंडाल की खासियत यह है कि यह बंगाली संस्कृति और परंपरा को भविष्य की कला के साथ बेहद खूबसूरती से मिलाता है। कलाकार शोविन भट्टाचार्य द्वारा बनाई गई इस अवधारणा में गतिज कला, चमकदार स्टेनलेस स्टील की कलाकृतियों और नीले रंग की रोशनी का उपयोग किया गया है, जो पंडाल को एक जीवंत रूप देते हैं।
‘मुखो मुखी’ का अर्थ है “आमने-सामने”। यह पंडाल ‘अन्तर्यामी’ या हमारे भीतर के आत्म की आध्यात्मिक अवधारणा पर एक कलात्मक खोज है। यहां आने वाले लोगों को अपनी ही परछाई का सामना करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे उनके आत्म-ज्ञान और आध्यात्मिकता के बीच एक संवाद स्थापित होता है।
पंडाल के केंद्र में मां दुर्गा की मूर्ति है, जिसे कलाकार शंपा भट्टाचार्य ने बनाया है। कुम्हारटुली के कुशल कारीगरों और मूर्तिकार बिमल पॉल द्वारा बनाई गई यह मूर्ति पारंपरिक कला और एक आधुनिक, भविष्यवादी रूप का संगम है। ऐसा कहा जाता है कि मूर्ति की आँखें, जिन्हें बिमल पॉल ने बड़ी कुशलता से बनाया है, शक्ति और शांति का प्रतीक हैं, जो आत्मा को दर्शाती हैं। पंडाल पर्यावरण के प्रति भी जागरूक है, क्योंकि मूर्ति मिट्टी और प्राकृतिक रंगों से बनाई गई है।