नई दिल्ली: दिल्ली सरकार राजधानी को हरित और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार ने दिल्ली की लगभग 1,000 सरकारी इमारतों पर रूफटॉप सोलर पैनल लगाने की घोषणा की है। इस बड़े कदम का लक्ष्य कुल 55 मेगावाट ग्रीन एनर्जी का उत्पादन करना है।
अधिकारियों के मुताबिक, राजधानी में 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाली सभी सरकारी इमारतों पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगाना अब अनिवार्य कर दिया गया है। यह निर्णय ऊर्जा संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
किन इमारतों को किया जाएगा सौर ऊर्जा से लैस?
इस व्यापक योजना के तहत, सैकड़ों स्कूल, 40 से अधिक दमकल केंद्र, दिल्ली जल बोर्ड के 24 कार्यालय और दिल्ली नगर निगम (MCD) की 70 से ज्यादा इमारतों को सौर ऊर्जा से लैस किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि 3,880 चिन्हित सरकारी इमारतों में से अब तक 1,200 से अधिक पर पहले ही रूफटॉप सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं।
बचत और पर्यावरण लाभ
सरकार का अनुमान है कि इस पहल से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि सरकारी खजाने को भी राहत मिलेगी। इस कदम से बिजली के बिलों में सालाना 50 करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी। साथ ही, यह परियोजना कार्बन उत्सर्जन में भी भारी कमी लाएगी, जिससे पर्यावरण में 46,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड की कमी आएगी।
पिछले महीने, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के रिठाला में एक कार्यक्रम के दौरान इस परियोजना का शुभारंभ किया था, जहां 25 किलोवाट क्षमता वाले एक सोलर प्लांट का भी उद्घाटन किया गया। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि सरकारी इमारतों को सोलराइज करने का यह काम अगले साल जनवरी तक पूरा कर लिया जाएगा।
यह योजना राजधानी में हरित ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने और दिल्ली को देश के सबसे स्वच्छ शहरों में से एक बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।