नई दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा परीक्षा (CSE) की तैयारी कर रहे लाखों उम्मीदवारों को बड़ी राहत देते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर यह घोषणा की है कि अब सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा (CSE Prelims) के परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद प्रोविजनल आंसर-की जारी की जाएगी।
यह फैसला उम्मीदवारों की उस पुरानी मांग को पूरा करता है, जिसमें वे परीक्षा प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता की मांग कर रहे थे। अब तक, UPSC प्रारंभिक परीक्षा की आंसर-की केवल अंतिम परिणाम (फाइनल रिजल्ट) घोषित होने के बाद ही सार्वजनिक करता था, जिससे अभ्यर्थियों को परीक्षा में हुई संभावित गलतियों को चुनौती देने का कोई मौका नहीं मिल पाता था।
पारदर्शिता बढ़ाने का उद्देश्य
न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ के समक्ष दायर हलफनामे में, UPSC ने स्पष्ट किया कि परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए व्यापक विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है।
आपत्ति दर्ज कराने का मिलेगा मौका
इस नए नियम के तहत, परीक्षा के तुरंत बाद न केवल प्रोविजनल आंसर-की उपलब्ध कराई जाएगी, बल्कि उम्मीदवारों को उस पर आपत्ति दर्ज कराने का अवसर भी दिया जाएगा। हालांकि, आयोग ने आपत्ति दर्ज कराने के लिए सख्त नियम बनाए हैं:
- उम्मीदवारों को प्रत्येक आपत्ति के साथ कम से कम तीन आधिकारिक/प्रामाणिक स्रोत प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
- इन आपत्तियों की समीक्षा संबंधित विषय विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा की जाएगी।
- आपत्तियों की समीक्षा के बाद फाइनल आंसर-की तैयार की जाएगी, जिसके आधार पर ही प्रीलिम्स परीक्षा का परिणाम तैयार किया जाएगा।
आयोग ने स्पष्ट किया कि फाइनल आंसर-की हमेशा की तरह अंतिम परिणाम (फाइनल रिजल्ट) घोषित होने के बाद ही सार्वजनिक की जाएगी।
लाखों उम्मीदवारों को राहत
हर साल लगभग 5 लाख से अधिक उम्मीदवार यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा में शामिल होते हैं। इस नीतिगत बदलाव से उनकी यह शिकायत दूर हो जाएगी कि उन्हें संभावित गलतियों को चुनौती देने का कोई माध्यम नहीं मिलता था। अब आंसर-की जारी होने और आपत्ति दर्ज कराने का मौका मिलने से उम्मीदवार अपनी स्थिति को स्पष्ट रूप से समझ पाएंगे और चयन प्रक्रिया में अपनी संभावनाओं का बेहतर आकलन कर सकेंगे।
UPSC ने यह अहम निर्णय सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक रिट याचिका पर विचार करते हुए लिया है, जिसमें आंसर-की को फाइनल रिजल्ट आने तक रोककर रखने की प्रथा को खत्म करने की मांग की गई थी।