नई दिल्ली। देश के विभिन्न राज्यों में कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत की खबरों के बाद दिल्ली सरकार पूरी तरह सतर्क हो गई है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह ने राष्ट्रीय राजधानी के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को विशेष निर्देश जारी किए हैं कि वे बच्चों को कफ सिरप देने के मामले में केंद्र सरकार द्वारा जारी परामर्श और दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करें।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, यह कदम बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और संभावित खतरनाक दवाओं के उपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है। अस्पतालों के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, डायरेक्टर और विभागाध्यक्षों को स्पष्ट रूप से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि चिकित्सकीय प्रक्रियाओं में सख्ती बरती जाए और किसी भी तरह की हानिकारक या अनुचित दवा बच्चों को न दी जाए।
केंद्र सरकार की एडवाइजरी
दिल्ली सरकार ने यह निर्देश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 3 अक्टूबर को जारी एक परामर्श के आधार पर दिए हैं। केंद्र सरकार की एडवाइजरी में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बच्चों के लिए कफ सिरप और खांसी-सर्दी की दवाओं का विवेकपूर्ण उपयोग करने का आग्रह किया गया था।
एडवाइजरी में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि:
- दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए।
- पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी आमतौर पर इन दवाओं की सिफारिश नहीं की जाती है।
- सरकार ने जोर दिया है कि छोटे बच्चों में अधिकांश बीमारियां बिना किसी दवा के भी ठीक हो जाती हैं।
- बड़े बच्चों के लिए इन दवाओं का उपयोग केवल सावधानीपूर्वक, कड़ी निगरानी और सही खुराक एवं निर्धारित अवधि का सख्ती से पालन करने के बाद ही किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार ने प्राथमिक उपचार के तौर पर पर्याप्त पानी पीने, आराम करने और सही देखभाल को अधिक महत्व देने की सलाह दी है।
दिल्ली सरकार ने सभी जिला स्वास्थ्य अधिकारियों, मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों को यह भी निर्देशित किया है कि वे इस सलाह का प्रचार डिस्पेंसरियों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और निजी क्लीनिकों में व्यापक रूप से करें, ताकि बच्चों को केवल सुरक्षित और मानक गुणवत्ता वाली दवाएं ही उपलब्ध हों। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में वितरित सभी कफ सिरप उत्पाद गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज (GMP) के तहत निर्मित हों और उनमें केवल फार्मास्युटिकल-ग्रेड एक्सीपिएंट्स का ही उपयोग किया गया हो।