नई दिल्ली। चीन ने अपनी वायु सेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा करते हुए अपने फिफ्थ-जनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट J-20 का अपग्रेडेड वर्जन J-20A पेश किया है, जिसे ‘माइटी ड्रैगन’ भी कहा जा रहा है। इस घातक जेट ने कथित तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए नई टेंशन खड़ी कर दी है, क्योंकि यह अमेरिका के F-22 और F-35 जैसे लड़ाकू विमानों को सीधी चुनौती दे सकता है।
J-20A के इस अपग्रेड से चीन की स्ट्राइक क्षमता, स्टील्थ तकनीक और लंबी दूरी की संचालन क्षमता में बड़ा सुधार होगा, जिसका क्षेत्रीय और वैश्विक रणनीतिक संतुलन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। इसे विशेष रूप से लंबी दूरी के मिशन को अंजाम देने के लिए डिजाइन किया गया है।
इंजन और तकनीक में अमेरिकी जेट से आगे
J-20A को सबसे खतरनाक बनाने वाली इसकी इंजन क्षमता है। चीन ने इसमें दो Shenyang WS-15 आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन लगाए हैं, जो बेहद शक्तिशाली बताए जा रहे हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ये इंजन अमेरिका के F-22 और F-35 के इंजन से भी अधिक ताकतवर हैं। यह जेट ईंधन की बचत करते हुए लंबी दूरी की उड़ान बिना किसी परेशानी के पूरी कर सकता है।
बेहतर स्टील्थ और हथियार ले जाने की क्षमता
J-20A स्टील्थ तकनीक से भी लैस है। इसका फ्रंट प्रोफाइल रडार क्रॉस-सेक्शन बेहद कम है, जिससे इसे रडार पर पकड़ना लगभग नामुमकिन है। यह चीन की वायु सेना की स्ट्राइक और सुरक्षा क्षमताओं को कई गुना बढ़ा देता है।
‘नेशनल सिक्योरिटी जनरल’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, J-20A की हथियार वहन और लॉन्च क्षमताएं भी जबरदस्त हैं। यह आंतरिक वेपन बे में लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (जैसे PL-15 और PL-21) और साइड बेज़ में कम दूरी की मिसाइलें भी ले जा सकता है। खास बात यह है कि ये मिसाइलें बेज़ बंद रहने के बावजूद लॉन्च की जा सकती हैं, जिससे विमान अपनी स्टील्थ प्रोफाइल बनाए रखता है।
इसके अलावा, J-20A लगभग 12,000 किलोग्राम ईंधन क्षमता के साथ आता है और इसकी कॉम्बैट रेंज करीब 2,000 किलोमीटर आंकी गई है। इसमें हवा में ईंधन भरने (एयर-रिफ्यूलिंग) की भी सुविधा है, जो इसकी ऑपरेशनल रेंज और मिशन एंड्योरेंस को और बढ़ा देती है।
विश्लेषकों का कहना है कि J-20A का यह संयोजन—स्टील्थ, लंबी रेंज मिसाइलें और मजबूत इंजन—इसे पहले हमला करने (फर्स्ट स्ट्राइक) और वायु श्रेष्ठता (एयर सुपीरियरिटी) दोनों प्रकार के ऑपरेशनों में प्रभावी बनाता है, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र सहित पूरे एशिया में रणनीतिक माहौल पर असर पड़ सकता है।