दिल्ली एयरपोर्ट पर GPS सिग्नल में बड़ी छेड़छाड़! पायलट को रनवे की जगह दिखे खेत; 800 से अधिक उड़ानें प्रभावित

नई दिल्ली। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGIA) पर दो दिन पहले हुई उड़ानों में भारी बाधा के पीछे जीपीएस (Global Positioning System) सिग्नल में जानबूझकर हस्तक्षेप किए जाने का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। प्रारंभिक तकनीकी जांच से पता चला है कि यह समस्या ‘जीपीएस स्पूफिंग’ के कारण पैदा हुई, जिससे उड़ान नेविगेशन सिस्टम को भ्रमित करने की साजिश की आशंका जताई जा रही है।

यह है पूरा मामला:

  • 6 से 7 नवंबर 2025 के बीच शाम 7 बजे के आसपास दिल्ली एयरपोर्ट के ऊपर उड़ रहे कई विमानों को नकली (Fake) जीपीएस सिग्नल मिलने लगे।
  • इन नकली सिग्नलों के कारण कॉकपिट में मौजूद नेविगेशन स्क्रीन पर विमान की वास्तविक स्थिति (Position) बदलकर गलत जगह दिखाई देने लगी, जिससे विमान की ऊंचाई और दिशा को लेकर भ्रम पैदा हो गया।
  • जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार, कुछ पायलटों को अपनी कॉकपिट स्क्रीन पर रनवे की बजाय खेतों जैसी छवि दिखाई देने लगी, जबकि विमान लैंडिंग के लिए एयरपोर्ट के करीब ही था। पायलटों ने इसे बेहद जोखिमपूर्ण बताया, क्योंकि लैंडिंग के अंतिम चरण में यह गलत जानकारी बड़े हादसे का कारण बन सकती थी।

बड़ा हादसा ऐसे टला:

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पायलटों ने तुरंत जीपीएस आधारित ऑटो-नेविगेशन और ऑटो मैसेजिंग सिस्टम को बंद कर दिया और विमानों को मैनुअल मोड पर शिफ्ट कर दिया। एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) ने भी सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत एयर स्पेस में विमानों के बीच सुरक्षित दूरी (Separation) बढ़ा दी। सुरक्षा के मद्देनजर कई उड़ानों को दिल्ली में लैंडिंग की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें जयपुर सहित अन्य हवाई अड्डों की ओर डायवर्ट किया गया। अधिकारियों के अनुसार, इन त्वरित निर्णयों से एक संभावित बड़े हवाई हादसे को टालना संभव हो पाया।

ऑपरेशन पर गंभीर असर:

जीपीएस हस्तक्षेप के साथ ही 7 नवंबर को एटीसी के ऑटोमैटिक मैसेज स्विच सिस्टम (AMSS) में भी तकनीकी खराबी आ गई थी। इन दोनों संयुक्त बाधाओं के कारण 800 से अधिक उड़ानों में देरी हुई और 20 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। एयरपोर्ट का सामान्य संचालन लगभग 48 घंटे बाद पूरी तरह से बहाल हो पाया।

उच्च स्तरीय जांच शुरू:

इस घटना को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला मानते हुए उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी गई है। जांच में बाहरी एजेंसियों या साइबर हमले की भूमिका का पता लगाया जा रहा है। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि हैकर्स ने जीपीएस के ओपन सिग्नल की कॉपी करके एक नकली और शक्तिशाली सिग्नल प्रसारित किया, जिसे तकनीकी भाषा में जीपीएस स्पूफिंग अटैक कहा जाता है।

विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए इसरो द्वारा विकसित स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम ‘नाविक (NaVIC)’ को विमानन क्षेत्र में लागू करना आवश्यक है, जो भारत के नियंत्रण में काम करता है।

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