बस्तर में ‘लाल आतंक’ को बड़ा झटका: 60 लाख के इनामी तीन कुख्यात माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण, 30 साल से थे भूमिगत

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में माओवादी आंदोलन को एक बड़ी रणनीतिक हार मिली है। पिछले करीब 30 वर्षों से भूमिगत जीवन जी रहे तीन कुख्यात और बड़े इनामी माओवादियों ने तेलंगाना पुलिस महानिदेशक (DGP) के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। इन तीनों नक्सलियों पर राज्य सरकारों द्वारा 20-20 लाख रुपये का इनाम घोषित था, जिससे आत्मसमर्पित माओवादियों पर कुल इनाम की राशि 60 लाख रुपये हो जाती है।


आत्मसमर्पित माओवादियों की पहचान

आत्मसमर्पण करने वाले इन तीन कुख्यात माओवादियों में दो पति-पत्नी भी शामिल हैं। इनके नाम और उनके भूमिगत रहने की अवधि इस प्रकार है:

  1. कुनकाटी वेंकटैया उर्फ रमेश: ये माओवादी संगठन में 36 वर्षों से सक्रिय था।
  2. मोगिलीचेरला वेंकटाराजू उर्फ एर्रा राजू: ये 35 वर्षों से भूमिगत था।
  3. थोडेम गंगा उर्फ गंगाव्वा: ये महिला माओवादी 21 वर्षों से संगठन से जुड़ी हुई थी।

ये तीनों ही नक्सली बस्तर डिविजनल कमेटी और दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) जैसे प्रमुख नक्सली संगठनों के सदस्य रहे हैं और छत्तीसगढ़ में कई बड़ी हिंसक घटनाओं में शामिल रहे थे।


माओवादी नेटवर्क को बड़ा आघात

ये माओवादी संगठन में उच्च पदों पर सक्रिय थे, और इनका आत्मसमर्पण संगठन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक बी. शिवधर रेड्डी ने इस अवसर पर कहा कि अब तेलंगाना में माओवादियों के फिर से संगठित होने की कोई संभावना नहीं बची है।

उन्होंने बताया कि पिछले कुछ महीनों में 400 से अधिक माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें से 90 प्रतिशत का संबंध छत्तीसगढ़ से है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई और सरकार की पुनर्वास नीतियों के दबाव में, छत्तीसगढ़ में नक्सली अपनी पकड़ खो रहे हैं और हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी मार्च 2026 तक देश से माओवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है, और यह समर्पण उसी दिशा में एक बड़ी सफलता है।

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