रायपुर/बिलासपुर (19 नवंबर 2025) – छत्तीसगढ़ के हजारों शिक्षकों की पदोन्नति को लेकर बनी अनिश्चितता की स्थिति अब बिलासपुर हाईकोर्ट पहुँच गई है। शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को पदोन्नति के लिए अनिवार्य योग्यता में शामिल न किए जाने के कारण उत्पन्न हुए गतिरोध पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्ट राय मांगी है।
पदोन्नति पर अनिश्चितता का माहौल
राज्य के हजारों शिक्षकों के बीच इन दिनों पदोन्नति को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। शिक्षकों का आरोप है कि नियमों की अस्पष्टता उनके भविष्य पर सीधा असर डाल रही है। यह मामला तब और उलझ गया जब सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद भी TET को पदोन्नति की अनिवार्य योग्यता में शामिल करने के लिए नियमों में संशोधन नहीं किया गया।
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश, सरकार की चुप्पी
याचिकाकर्ताओं (शिक्षकों) ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट का 1 सितंबर 2025 का आदेश बिल्कुल स्पष्ट है। आदेश में कहा गया था कि शिक्षक पद पर सेवा में बने रहने के अवसर भले ही मिलें, लेकिन पदोन्नति केवल उन्हीं शिक्षकों को दी जाएगी, जिन्होंने TET पास किया हो।
शिक्षकों ने कोर्ट में यह भी उल्लेख किया कि स्कूल शिक्षा सेवा भर्ती एवं पदोन्नति नियम 2019 में TET को अनिवार्य बनाने का संशोधन किया जाना था, लेकिन राज्य सरकार की चुप्पी ने इस पूरी प्रक्रिया को रोक दिया है, जिससे शिक्षकों की परेशानी बढ़ गई है। याचिका में यह भी कहा गया कि कई अन्य राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर तुरंत कार्रवाई करते हुए नियमों को अपडेट कर दिया था।
हाईकोर्ट ने सरकार को दिया निर्देश
शिक्षकों द्वारा दायर इस याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करे। हाईकोर्ट ने सीधे तौर पर पूछा है कि TET को पदोन्नति में अनिवार्य बनाने पर राज्य सरकार की राय क्या है?
हाईकोर्ट के इस कदम से अब यह उम्मीद जगी है कि राज्य सरकार जल्द ही TET की अनिवार्यता को लेकर अपना पक्ष स्पष्ट करेगी, जिससे हजारों शिक्षकों की पदोन्नति की राह में आई अनिश्चितता दूर हो सकेगी।