दिल्ली में नालों की मरम्मत और सुरक्षा को लेकर बरती जा रही गंभीर लापरवाही पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला मात्र प्रशासनिक नहीं, बल्कि सीधे तौर पर नागरिकों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। जस्टिस प्रभात एम. सिंह ने सुनवाई के दौरान MCD और दिल्ली जल बोर्ड (DJB) दोनों को फटकार लगाई और तत्काल आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।
यह मामला उस स्वतः संज्ञान याचिका से संबंधित है जिसे अदालत ने दिल्ली की एक रिहायशी कॉलोनी में हुए जलभराव को लेकर दर्ज किया था।
MCD ने उठाया वित्तीय संकट का मुद्दा
सुनवाई के दौरान, MCD कमिश्नर अश्विनी कुमार ने अदालत को बताया कि निगम एक गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि फ्लड चैंबर को ढकने, नालों के किनारे बैरिकेडिंग लगाने और जलभराव रोकने जैसे आवश्यक कामों के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने बताया कि नालों को ढकने और बैरिकेडिंग के लिए लगभग 1 से 1.5 करोड़ रुपये की आवश्यकता है, जबकि निगम पर करीब 15,791 करोड़ रुपये की देनदारियाँ हैं।
कमिश्नर ने यह भी बताया कि वित्त आयोग का गठन न होने के कारण स्थिति और चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।
हाई कोर्ट का सख्त रुख और निर्देश
अदालत ने MCD की वित्तीय दलीलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान स्थिति बच्चों, बुजुर्गों और आम नागरिकों की सुरक्षा को सीधे प्रभावित करती है। जस्टिस प्रभात एम. सिंह ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “हर कदम पर आपका हाथ पकड़कर चलाना पड़ रहा है, यह अत्यंत कठिन है।”
कोर्ट ने निम्नलिखित सख्त निर्देश जारी किए:
- दिल्ली सरकार को आदेश: हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को MCD की वित्तीय स्थिति की तुरंत जाँच करने और आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
- समयबद्ध कार्य: कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगले तीन महीनों के भीतर टेंडर जारी करके नालों को ढकने एवं बैरिकेडिंग लगाने का काम हर हाल में पूरा किया जाए।
दिल्ली जल बोर्ड (DJB) को भी फटकार
सुनवाई के दौरान दिल्ली जल बोर्ड (DJB) को भी अदालत की फटकार झेलनी पड़ी। कोर्ट ने कहा कि DJB ने समय रहते अपनी आपत्ति दर्ज नहीं की, और अब नाले के पुनर्निर्माण स्थल पर दो बड़ी पाइपलाइन होने का दावा उठा रहा है। अदालत ने निर्देश दिया कि MCD और DJB मिलकर काम करें और आपस में आरोप-प्रत्यारोप करने के बजाय तत्काल समाधान खोजें, ताकि कार्य बाधित न हो और जनता को नुकसान न झेलना पड़े।
न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर तय की है, और उम्मीद जताई है कि तब तक दोनों निकाय ठोस प्रगति दिखाएंगे।