प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) जैसे सरकारी महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सामने आया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में Ocean Seven Buildtech Pvt. Ltd. (OSBPL) नामक कंपनी और उसके प्रमुखों के खिलाफ जल्द ही आरोप-पत्र दाखिल करने की तैयारी कर ली है।
ईडी की जाँच में खुलासा हुआ है कि कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर स्वराज सिंह यादव ने फर्जी तरीके से खरीदारों से करीब 222 करोड़ रुपये का गबन किया है। ईडी के अनुसार, यह धनराशि योजना के उद्देश्य से विपरीत शेल कंपनियों (कागज़ी कंपनियों) के माध्यम से बाहर भेजी गई।
धोखाधड़ी का तरीका: एक फ्लैट, कई खरीदार
जाँच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने धोखाधड़ी के दो मुख्य तरीकों का इस्तेमाल किया:
- दोहरी बिक्री और अधिक कीमत वसूली: PMAY के तहत एक फ्लैट की वास्तविक कीमत लगभग 26.5 लाख रुपये थी। कंपनी पहले खरीदार का आवंटन, भुगतान न होने का बहाना बनाकर, रद्द कर देती थी। इसके बाद उसी फ्लैट को 40 से 50 लाख रुपये जैसी ऊँची कीमत पर दूसरे खरीदार को बेच दिया जाता था। इस प्रक्रिया में पहले खरीदार का पैसा भी वापस नहीं किया जाता था।
- नकद प्रीमियम: ईडी ने पाया है कि एमडी यादव ने पार्किंग क्षेत्र की बिक्री में भी बैंकिंग चैनलों से बाहर नकद प्रीमियम (Cash Premium) लेने का तरीका अपनाया।
जाँच में यह भी सामने आया कि एमडी स्वराज सिंह यादव अपनी पत्नी के नाम से बने बैंक खाते के जरिए हवाला के माध्यम से बड़ी रकम अमेरिका में ट्रांसफर कर रहा था।
ईडी की कार्रवाई और एमडी की गिरफ्तारी
इस गंभीर धोखाधड़ी के बाद ईडी ने सख्ती बरतते हुए कंपनी के एमडी स्वराज सिंह यादव को 13 नवंबर को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
ईडी ने अदालत में दलील दी कि यादव हाल के दिनों में गुड़गांव, महाराष्ट्र और राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों में अपनी निजी और कंपनी की संपत्तियों को तेजी से बेचने की कोशिश कर रहे थे, ताकि अवैध तरीके से कमाई गई रकम को बचाया जा सके।
जाँच एजेंसी अब कंपनी और उसके प्रमोटरों की संपत्तियों का मूल्यांकन कर रही है, ताकि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत उनकी संपत्तियों को अटैच (कुर्क) किया जा सके। इस कदम का उद्देश्य पीड़ितों को उनके नुकसान की भरपाई करने में मदद करना है।