भारतीय वायुसेना की ताकत कहे जाने वाले हल्के लड़ाकू विमान ‘तेजस’ (Tejas) ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक और बड़ी छलांग लगाई है। अब तेजस विमानों की लैंडिंग को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए भारत ने पूरी तरह से स्वदेशी ‘हाइब्रिड ब्रेक पैराशूट’ (Hybrid Brake Parachute) विकसित कर लिया है। यह अत्याधुनिक पैराशूट न केवल तेजस की लैंडिंग दूरी को कम करेगा, बल्कि 340 किमी प्रति घंटे की उच्च गति पर भी विमान को पलक झपकते ही स्थिर कर देगा।
तकनीक और सुरक्षा का बेजोड़ संगम
आमतौर पर लड़ाकू विमानों को लैंडिंग के समय बहुत कम दूरी में रुकना होता है, जिसके लिए ब्रेक पैराशूट का इस्तेमाल किया जाता है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की प्रयोगशाला एडीआरडीई (ADRDE) द्वारा तैयार किया गया यह नया हाइब्रिड पैराशूट उच्च शक्ति वाले सिंथेटिक फाइबर और विशेष एरोडायनामिक डिजाइन से लैस है। यह 340 किमी/घंटा की भीषण रफ्तार के दौरान उत्पन्न होने वाले घर्षण और गर्मी को झेलने में सक्षम है, जिससे रनवे पर विमान की लैंडिंग बेहद सुरक्षित हो जाती है।
आत्मनिर्भर भारत की एक और जीत
अभी तक इस तरह की उच्च तकनीक के लिए भारत को विदेशी देशों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन इस स्वदेशी विकास ने रक्षा आयात को कम करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इस पैराशूट का परीक्षण तेजस के अलग-अलग संस्करणों पर सफलतापूर्वक किया जा चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक न केवल तेजस, बल्कि भविष्य के अन्य स्वदेशी लड़ाकू विमानों (जैसे AMCA) के लिए भी आधार तैयार करेगी।
आपातकालीन स्थितियों में मददगार
यह पैराशूट छोटे रनवे या खराब मौसम के दौरान लैंडिंग के समय पायलटों के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगा। इसकी हाइब्रिड प्रकृति इसे हल्का और अधिक टिकाऊ बनाती है, जिससे इसे बार-बार इस्तेमाल करना भी आसान होगा।