बांग्लादेश की राजनीति में एक दशक से भी ज्यादा समय बाद सबसे बड़ा मोड़ आया है। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल के लंबे निर्वासन के बाद वतन लौट आए हैं। उनके इस कदम को देश की सत्ता संरचना में आने वाले बड़े तूफान के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। रहमान की वापसी ऐसे समय में हुई है जब मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पहले से ही कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रही है।
तारिक रहमान की वापसी और BNP का बढ़ता प्रभाव
तारिक रहमान 2008 से लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे थे। उन पर अवामी लीग सरकार के दौरान कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे, जिन्हें अब उनकी पार्टी राजनीति से प्रेरित बता रही है। ढाका पहुंचने पर उनका जोरदार स्वागत किया गया, जिससे यह साफ है कि BNP अब देश में जल्द से जल्द चुनाव कराने और सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरी तरह तैयार है।
मोहम्मद यूनुस के लिए ‘दोहरी मार’
नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस, जिन्होंने शेख हसीना के इस्तीफे के बाद अंतरिम सरकार की कमान संभाली थी, अब कशमकश में नजर आ रहे हैं। उनके लिए यह स्थिति ‘डबल ब्लो’ (दोहरी मार) की तरह है:
- जल्द चुनाव का दबाव: BNP और तारिक रहमान अब अंतरिम सरकार पर चुनाव की तारीख घोषित करने का भारी दबाव बना रहे हैं।
- प्रशासनिक अस्थिरता: देश में कानून-व्यवस्था और आर्थिक सुधारों को लागू करने की कोशिशों के बीच राजनीतिक खेमेबंदी ने यूनुस सरकार की कार्यक्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
भविष्य की राजनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि तारिक रहमान की सक्रियता से बांग्लादेश में अवामी लीग का प्रभाव और कम होगा, लेकिन साथ ही अंतरिम सरकार और BNP के बीच टकराव बढ़ने की भी आशंका है। यदि यूनुस सरकार चुनाव में देरी करती है, तो देश में एक बार फिर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन और अराजकता देखने को मिल सकती है।