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नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में निर्विरोध सरपंच, शहरों से चलाएंगे पंचायत

छत्तीसगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 17, 20 और 23 फरवरी को मतदान होगा। इस बीच, बस्तर संभाग से एक अनोखी स्थिति सामने आई है, जहां कई निर्विरोध चुने गए सरपंच अपने गांव जाने के बजाय शहरी इलाकों से पंचायत संचालन करेंगे।

नक्सल प्रभावित इलाकों में निर्विरोध सरपंचों का चुनाव

बस्तर के कोंटा ब्लॉक और सुकमा जिले के दोरनापाल में कई निर्विरोध सरपंच ऐसे हैं, जो अपनी पंचायतों में वर्षों से नहीं गए, लेकिन फिर से चुने गए हैं। इनमें से कुछ पहले भी सरपंच थे और नक्सली खौफ की वजह से अपने गांव तक नहीं जा सके।

 सिलगेर पंचायत: पांच साल गांव नहीं गए, फिर निर्विरोध सरपंच

सुकमा और बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित अतिसंवेदनशील सिलगेर पंचायत से कोरसा सन्नू फिर निर्विरोध सरपंच चुने गए हैं। वे पहले भी सरपंच थे, लेकिन सलवा जुडूम और नक्सली खतरों के चलते दोरनापाल में रहकर ही पंचायत संचालन कर रहे थे। अब फिर से वे शहर में रहकर सिलगेर पंचायत का कामकाज संभालेंगे।

गांव नहीं गए, फिर भी दावेदारी बरकरार

नुप्पो जोगी (मोरपल्ली) – कोंटा में रहकर पंचायत संचालन।
पोड्यामी सुक्का (डब्बाकोटा) – पूर्व सरपंच, फिर से दावेदारी।
एंका सेमला (गगनपल्ली) – पत्नी को चुनाव लड़वा रहे, कोंटा में रहकर पंचायत चलाएंगे।
मोरपल्ली के एक प्रत्याशी तेलंगाना के सारापाका में रहकर चुनाव लड़ रहे।

भैरमगढ़ में 12 ग्राम पंचायतों में निर्विरोध निर्वाचन

बीजापुर के भैरमगढ़ जनपद में 12 पंचायतों में सरपंच एवं पंच निर्विरोध चुने गए।
ग्राम पंचायतें: मर्रामेटा, टिण्डोडी, ईतामपार, बैल, हुर्रागुवाली, जैगूर, कोण्ड्रोजी, पोटेनार, फुल्लोड़, कोतरापाल, मदपाल, बेचापाल।
33 प्रत्याशी जनपद सदस्य के 15 क्षेत्रों में चुनाव लड़ेंगे।

नक्सल खौफ से हो रहा शहरीकरण

नक्सल प्रभाव के कारण गांवों से शहरों की ओर पलायन जारी है। हालांकि, अब क्षेत्र में सीआरपीएफ कैंप और पुलिस थानों की संख्या बढ़ने से हालात कुछ बदले हैं। फिर भी, कई निर्वाचित सरपंच गांवों में जाने से हिचक रहे हैं और शहरी इलाकों से पंचायत संचालन कर रहे हैं।

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