चीन ने एक बार फिर दक्षिण एशिया की राजनीति में अपनी भूमिका को लेकर बड़ा दावा किया है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) का जिक्र करते हुए कहा कि चीन ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने और संघर्ष विराम (Ceasefire) लागू करवाने में महत्वपूर्ण मध्यस्थ की भूमिका निभाई है। उनके इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के गलियारों में चर्चा छेड़ दी है।
चीन का दावा और ‘ऑपरेशन सिंदूर’
चीनी विदेश मंत्री के अनुसार, जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव अपने चरम पर था, तब चीन ने पर्दे के पीछे से सक्रिय कूटनीति का सहारा लिया। उन्होंने दावा किया कि बीजिंग के हस्तक्षेप के कारण ही दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच संभावित युद्ध टल सका। चीन का मानना है कि उसने दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर लाने और 2021 के संघर्ष विराम समझौते को बहाल करने में ‘साइलेंट’ लेकिन ‘प्रभावी’ रोल निभाया है।
भारत का रुख और कूटनीतिक निहितार्थ
हालांकि, भारत हमेशा से यह कहता रहा है कि पाकिस्तान के साथ उसके सभी मुद्दे द्विपक्षीय हैं और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है। चीन द्वारा खुद को ‘शांतिदूत’ के रूप में पेश करना भारत के लिए चौंकाने वाला हो सकता है, विशेषकर तब जब स्वयं भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस तरह के दावे करके वैश्विक स्तर पर अपनी छवि को एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति (Global Power) के रूप में सुधारना चाहता है।
चीनी मीडिया में इस घटनाक्रम को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से प्रचारित किया जा रहा है, जो चीन के कूटनीतिक प्रभाव को दर्शाता है। अब देखना यह होगा कि भारत का विदेश मंत्रालय इस दावे पर क्या आधिकारिक प्रतिक्रिया देता है।