छत्तीसगढ़

छुरा नगर पंचायत में कांग्रेस और गरियाबंद नगर पालिका में भाजपा का वर्चस्व; पार्षदों ने अलग-अलग ली शपथ

छुरा नगर पंचायत में कांग्रेस और गरियाबंद नगर पालिका में भाजपा का वर्चस्व; पार्षदों ने अलग-अलग ली शपथ

गरियाबंद – गरियाबंद जिले में नगर पंचायतों और नगर पालिका में उपाध्यक्ष पद के चुनाव संपन्न हुए, जिसमें कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। छुरा नगर पंचायत में कांग्रेस ने उपाध्यक्ष पद पर जीत हासिल की, जबकि गरियाबंद नगर पालिका में भाजपा के उम्मीदवार को निर्विरोध उपाध्यक्ष चुना गया। इस दौरान, टूट की आशंका के चलते पार्षदों ने अलग-अलग शपथ ग्रहण किया, जिससे जिले की राजनीतिक स्थिति में तनाव की स्थिति बनी रही।

छुरा नगर पंचायत में कांग्रेस का कब्जा – 

छुरा नगर पंचायत में कुल 15 वार्ड हैं, जिसमें 9 पार्षद कांग्रेस के और 6 भाजपा के हैं। हालांकि, नगर पंचायत अध्यक्ष का पद भाजपा के पास है, लेकिन उपाध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस ने बाज़ी मार ली। कांग्रेस प्रत्याशी अब्दुल शमीम खान को 9 वोट मिले, जबकि भाजपा के प्रत्याशी को 6 वोट ही प्राप्त हुए। कांग्रेस ने इस जीत को अपनी बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि यह जनता के समर्थन का परिणाम है।

कांग्रेस को आशंका थी कि भाजपा उनके पार्षदों को अपने पक्ष में कर सकती है, जिसके चलते कांग्रेस के सभी पार्षदों ने नगर पंचायत कार्यालय में ही शपथ ग्रहण कर लिया। पार्टी ने इस कदम को “राजनीतिक बचाव” बताया और दावा किया कि भाजपा द्वारा पार्षदों को तोड़ने की कोशिश की जा रही थी।

वहीं, भाजपा के नेताओं ने कांग्रेस के इस कदम पर नाराजगी जताई और आरोप लगाया कि कांग्रेस को अपनी ही पार्टी के पार्षदों पर भरोसा नहीं है। भाजपा का कहना था कि चुनाव निष्पक्ष हुआ है, और हार के डर से कांग्रेस ने यह रणनीति अपनाई।

गरियाबंद नगर पालिका में भाजपा का दबदबा –

गरियाबंद नगर पालिका परिषद में उपाध्यक्ष पद के लिए भाजपा ने जीत दर्ज की। चार बार के पार्षद रह चुके आसिफ मेमन को निर्विरोध उपाध्यक्ष चुना गया। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अब्दुल गफ्फार मेमन ने उन्हें पुष्पगुच्छ भेंट कर बधाई दी।

आसिफ मेमन ने इस बार वार्ड बदलने के बावजूद 370 मतों से शानदार जीत दर्ज की। भाजपा के इस प्रदर्शन से पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश देखने को मिला। भाजपा ने इसे अपनी सरकार की नीतियों और स्थानीय नेताओं की मेहनत का परिणाम बताया।

जिला पंचायत में सबसे युवा अध्यक्ष –

इस बार के चुनावों में गरियाबंद जिला पंचायत में 30 वर्षीय गौरी शंकर कश्यप ने अध्यक्ष पद की शपथ ली। वे प्रदेश के सबसे युवा जिला पंचायत अध्यक्ष बने हैं। उनके साथ उपाध्यक्ष पद की शपथ लालिमा ठाकुर ने ली, जो पूर्व में जनपद अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।

गौरी शंकर कश्यप ने शपथ ग्रहण के बाद अपने संबोधन में कहा कि वे जिले के विकास के लिए पूरी ईमानदारी से काम करेंगे। उन्होंने कहा कि वे सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए पूरी निष्ठा से कार्य करेंगे और युवाओं को रोजगार दिलाने की दिशा में प्रयासरत रहेंगे।

राजनीतिक हलचल और संभावनाएं –

छुरा नगर पंचायत और गरियाबंद नगर पालिका के नतीजे यह दर्शाते हैं कि जिले में कांग्रेस और भाजपा दोनों मजबूत स्थिति में हैं। जहां एक ओर कांग्रेस ने छुरा में जीत दर्ज की, वहीं भाजपा ने गरियाबंद नगर पालिका में अपनी पकड़ मजबूत कर ली।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनावों में दोनों पार्टियों के बीच जबरदस्त टक्कर होगी। दोनों दलों ने अपने पार्षदों को संगठित रखने के लिए काफी मेहनत की है। इस बार के परिणामों से यह भी साफ हो गया कि पार्टी स्तर पर रणनीति बनाने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर मजबूत नेतृत्व भी बेहद आवश्यक है।

वहीं, पार्षदों के शपथ ग्रहण को लेकर उठे विवाद से यह संकेत मिलता है कि दोनों दलों में अंदरूनी कलह भी हो सकती है। यदि ऐसी स्थिति बनी रहती है, तो इससे भविष्य की राजनीति प्रभावित हो सकती है।

निष्कर्ष –

गरियाबंद जिले में हुए इन चुनावों के नतीजे यह दर्शाते हैं कि राजनीतिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों अपनी स्थिति मजबूत करने में लगी हुई हैं। जहां कांग्रेस ने छुरा नगर पंचायत में उपाध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया, वहीं भाजपा ने गरियाबंद नगर पालिका में अपना दबदबा कायम रखा।

हालांकि, इन चुनावों के दौरान उठी विवादित परिस्थितियां यह भी दिखाती हैं कि दोनों पार्टियों में पार्षदों को लेकर असमंजस और असुरक्षा की स्थिति बनी हुई है। अब देखने वाली बात होगी कि आगामी चुनावों में जनता किस पार्टी पर अधिक विश्वास जताती है।

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