नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली की जहरीली हवा और खतरनाक प्रदूषण से नागरिकों को राहत दिलाने के लिए, दिल्ली सरकार अब कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) का सहारा लेने की तैयारी कर रही है। यदि मौसम की स्थिति अनुकूल रहती है, तो सरकार मंगलवार, 29 अक्टूबर को राजधानी में कृत्रिम बारिश का पहला बड़ा परीक्षण कर सकती है।
दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक बना हुआ है। उन्होंने कहा कि परियोजना की समीक्षा बैठक निर्धारित की गई है, जिसमें कृत्रिम वर्षा की व्यवहार्यता और तकनीकी संभावनाओं का आकलन किया जाएगा।
आईआईटी कानपुर के नेतृत्व में तैयारी
इस महत्वपूर्ण परियोजना का नेतृत्व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर कर रहा है।
- उद्देश्य: कृत्रिम बारिश का उद्देश्य राजधानी में बढ़ते PM 2.5 और PM 10 (वायु प्रदूषक कणों) के स्तर को अस्थायी रूप से कम करना है, क्योंकि यह सर्दियों के महीनों में वायु गुणवत्ता सुधारने की सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
- समझौता: दिल्ली सरकार ने 25 सितंबर को ही IIT कानपुर के साथ इस परियोजना के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे।
- अनुमति: नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने IIT कानपुर को 1 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच किसी भी समय परीक्षण करने की अनुमति दी है।
कैसे होगी कृत्रिम बारिश?
कृत्रिम वर्षा, जिसे क्लाउड सीडिंग भी कहा जाता है, एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में, सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड जैसे रसायनों के छोटे कणों को विमान के जरिए बादलों में छोड़ा जाता है। ये रसायन संघनन (Condensation) प्रक्रिया को तेज करते हैं, जिससे बूंदें बनती हैं और बारिश होती है। इस बारिश से हवा में मौजूद धूल और जहरीले कण नीचे बैठ जाते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर घटता है।
मौसम की स्थिति पर निर्भरता
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पिछले हफ्ते संकेत दिया था कि 28 से 30 अक्टूबर के बीच बादल बनने की उपयुक्त संभावना है। हालांकि, अधिकारियों ने पिछले सप्ताह बुराड़ी के ऊपर किए गए एक प्रारंभिक परीक्षण का विवरण साझा किया। इस ट्रायल में वायुमंडलीय नमी 20 प्रतिशत से भी कम होने के कारण बादलों में संघनन नहीं हो सका और वर्षा नहीं हुई। विशेषज्ञों के मुताबिक, सफल कृत्रिम वर्षा के लिए कम से कम 50 प्रतिशत वायुमंडलीय नमी आवश्यक होती है।
यदि मौसम की परिस्थितियां अनुकूल रहीं, तो उत्तर-पश्चिम दिल्ली क्षेत्र में इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि परीक्षण की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, और अब केवल सही मौसम की प्रतीक्षा है।