नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने देशभर में बढ़ते साइबर अपराधों के खिलाफ एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है। देश के 28 से अधिक शहरों में ईडी के जोनल कार्यालय इस कार्रवाई में लगे हुए हैं, जिनमें ईडी रायपुर जोनल कार्यालय मनी लॉन्ड्रिंग का पता लगाने और संपत्तियों को अटैच करने के मामले में कई बड़े कार्यालयों से आगे निकल गया है।
ईडी निदेशक राहुल नवीन की अध्यक्षता में हुई एक हालिया समन्वय बैठक में यह खुलासा हुआ कि ठगी और पोंजी योजनाओं के मास्टरमाइंड विदेशों से काम करते हैं और हवाला या क्रिप्टो माध्यमों का उपयोग करके अवैध धन को देश से बाहर भेजते हैं। इस दौरान ऑनलाइन पेमेंट गेटवे की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
रायपुर ने मुंबई और दिल्ली को छोड़ा पीछे
ईडी की रिपोर्ट में बताया गया कि अब तक एजेंसी ने साइबर अपराध से जुड़ी 28,000 करोड़ रुपए से अधिक की ‘अपराध की आय’ (Proceeds of Crime – PoC) की पहचान की है, जिसमें 8,500 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियां अटैच की जा चुकी हैं।
इन मामलों की जांच में रायपुर जोनल कार्यालय ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह कार्यालय देश के सबसे बड़े साइबर अपराध मामले की जांच कर रहा है, जो अवैध बेटिंग प्लेटफॉर्म्स से जुड़ा है और इसमें 8,000 करोड़ रुपए की PoC शामिल है। तुलनात्मक रूप से, मुंबई कार्यालय 6,000 करोड़ रुपए और दिल्ली के दो HIU 5,300 करोड़ रुपए के मामलों की जांच कर रहे हैं।
महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप मामले में बड़ी कार्रवाई
रायपुर ईडी कार्यालय द्वारा जांच किए जा रहे महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप मामले में 8,000 करोड़ रुपए से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग का पता चला है। इस मामले में अब तक 160 से अधिक छापे मारे जा चुके हैं, जिसके परिणामस्वरूप:
- ₹19 करोड़ नकद और ₹17 करोड़ के कीमती सामान जब्त किए गए।
- बैंक और डीमैट खातों में रखे ₹2,311 करोड़ रुपए फ्रीज किए गए।
ईडी ने इस मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया है और मास्टरमाइंड्स को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से प्रत्यर्पित कराने की प्रक्रिया जारी है। ईडी का यह कदम साइबर अपराधों से अर्जित की गई अवैध संपत्ति पर लगाम लगाने की दिशा में एक बड़ी सफलता है।