भारतीय ज्योतिष में ग्रहों के दोषों को शांत करने और उनकी शक्ति को बढ़ाने के लिए रत्नों का महत्व सदियों से रहा है। इनमें से एक ऐसा शक्तिशाली रत्न है जो न्याय के देवता शनि देव की ऊर्जा को कई गुना बढ़ा देता है—यह रत्न है नीलम (Blue Sapphire)। नीलम अपनी तेज और तुरंत परिणाम देने वाली ऊर्जा के लिए जाना जाता है।
नीलम का महत्व और लाभ
नीलम रत्न मुख्य रूप से शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है, जो कर्म और न्याय के कारक हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, नीलम धारण करने से व्यक्ति की दूरदर्शी सोच मजबूत होती है और उसे अपनी मेहनत का जल्द नतीजा मिलता है। मकर राशि वालों को नीलम बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि वे दूरदर्शी सोच के धनी होते हैं।
नीलम पहनने से जीवन में सकारात्मकता आती है, झगड़े कम होते हैं और निर्णय लेने की क्षमता (Decision Making Ability) मजबूत होती है। यह रत्न उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो सुरक्षा संबंधी कार्यों (Security related jobs) में लगे होते हैं।
किसे धारण करना चाहिए नीलम?
नीलम रत्न धारण करने को लेकर लोगों में अक्सर असमंजस की स्थिति रहती है, क्योंकि यह तुरंत फल देता है—चाहे वह शुभ हो या अशुभ। इसलिए किसी भी विद्वान ज्योतिषी की सलाह के बिना इसे धारण नहीं करना चाहिए।
ज्योतिष के अनुसार, कुछ विशेष राशियों के जातकों के लिए नीलम अत्यंत लाभकारी माना जाता है:
- राशियाँ: मेष, वृषभ, तुला और वृश्चिक राशि के लोगों को नीलम धारण करना शुभ फलदायी होता है। यह उनकी किस्मत खोलता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।
- शनि की स्थिति: जिनकी जन्मकुंडली में शनि मुख्य ग्रह है या जो मुख्य स्थान पर स्थित है, उन्हें नीलम पहनना सही माना जाता है।
- भावों में उपस्थिति: अगर कुंडली में शनि चौथे, पाँचवें, दसवें या ग्यारहवें भाव में हो, तो भी नीलम धारण किया जा सकता है।
- दोष और प्रभाव: जिन लोगों के जीवन पर शनि की साढ़ेसाती या ढैया का विशेष असर हो, उनके लिए नीलम धारण करना उत्तम माना जाता है। खासकर, यदि शनि आठवें या छठे भाव में हो, तो नीलम को बहुत प्रभावी माना गया है।
- मूल राशि: शनि द्वारा शासित राशियाँ, मकर और कुंभ, भी नीलम रत्न धारण कर सकती हैं।
नीलम धारण करने से पहले, इसका ट्रायल (अँगूठी को कुछ दिन पास रखना) और फिर किसी जानकार की सलाह से ही इसे पहनना उचित होता है, ताकि इसके बुरे प्रभावों से बचा जा सके।