रायपुर : शिक्षा के क्षेत्र में पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय (रविवि) ने एक और अजीबोगरीब घटना को अंजाम दिया है, जो अब चर्चा का विषय बन चुकी है। रविवि ने 2024 में आयोजित एमए इंग्लिश के चार छात्रों की परीक्षा के परिणाम को 2023 के टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) में दर्ज करने का आदेश जारी किया। विश्वविद्यालय ने खुद ही स्वीकार किया कि यह कदम “असाधारण” था और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होने का निर्देश दिया।
यह मामला एमए इंग्लिश के प्राइवेट छात्रों से जुड़ा है। इन छात्रों के लिए 2023 में परीक्षा के विषयों की संख्या में बदलाव किया गया था, जिससे कुछ छात्रों को भ्रम हुआ। परिणामस्वरूप, इन छात्रों को केवल चार विषयों की परीक्षा देने का अवसर मिला, जबकि नए नियमों के तहत पांच विषयों की परीक्षा होनी चाहिए थी। हालांकि, इस असामान्य स्थिति के बावजूद, छात्रों को 36% अंक प्राप्त कर सफल घोषित किया गया, क्योंकि नए नियमों के अनुसार, छात्रों को चार विषयों में कुल अंक मिलाकर 36% प्राप्त करने पर पास किया जा सकता था।
क्या था मामला?
2022 तक एमए इंग्लिश के प्राइवेट छात्रों को चार विषयों की परीक्षा देना अनिवार्य था, लेकिन 2023 में बदलाव करते हुए विषयों की संख्या बढ़ाकर पांच कर दी गई थी। जिन चार छात्रों के परिणाम में इस अपवाद का पालन किया गया है, उन्होंने 2023 में केवल चार विषयों की परीक्षा दी थी, और उनकी परीक्षा में अनुपस्थित रहने के बावजूद, वे 36% अंक प्राप्त कर पास हो गए थे। इस स्थिति के बाद, ये छात्र 2024 में एमए इंग्लिश अंतिम वर्ष की परीक्षा में सम्मिलित हुए, और परीक्षा के बाद उन्होंने विश्वविद्यालय से उस विषय में बैठने की अनुमति मांगी, जिसमें वे पहले अनुपस्थित थे। विश्वविद्यालय ने इस अर्जी को मंजूरी दी, और उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति प्रदान की।
रविवि का कदम और विद्यापरिषद की बैठक
इसके बाद, रविवि ने इस मामले को विद्यापरिषद की बैठक में प्रस्तुत किया, जहां यह निर्णय लिया गया कि “एमए इंग्लिश अंतिम वर्ष की परीक्षा में जिन चार छात्रों ने 2024 में परीक्षा दी, उनके अंक 2023 के टेबुलेशन रजिस्टर में दर्ज किए जाएं, ताकि छात्रहित में परिणाम घोषित किया जा सके।” विश्वविद्यालय ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए, और अगर ऐसा हुआ, तो संबंधित अधिकारियों का उत्तरदायित्व तय किया जाएगा।
क्या था छात्रों का पक्ष?
इन छात्रों का कहना था कि उन्हें यह जानकारी नहीं दी गई थी कि अब चार की बजाय पांच विषयों की परीक्षा दी जानी चाहिए थी। हालांकि, विश्वविद्यालय ने इस स्थिति को “अपवाद” मानते हुए उन्हें 2023 के अंकपत्र में उनके परिणाम दर्ज करने का निर्णय लिया। इस मामले में रविवि ने छात्रों के पक्ष में निर्णय लिया, और उन्हें राहत दी, साथ ही भविष्य में ऐसी स्थिति न बनने का आश्वासन भी दिया।
नियमों में बदलाव
नए नियमों के अनुसार, अब निजी छात्रों के लिए कक्षाओं में न्यूनतम उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत, अब निजी छात्रों को भी परीक्षा से संबंधित सभी जानकारी जैसे विषय, प्रश्नपत्र का पैटर्न, और अन्य संबंधित नियमों की जानकारी दी जाएगी। इससे उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में छात्रों को ऐसी उलझनों का सामना नहीं करना पड़ेगा।