गरियाबंद: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में सरकारी आदेशों की लगातार अवहेलना करने वाले एक पंचायत सचिव पर मेहरबानी दिखाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक तरफ जहां एक सचिव को ‘नो वर्क-नो पे’ की अवधि में भी लाखों का भुगतान कर दिया गया, वहीं दूसरी ओर 10 से अधिक निलंबित सचिवों को महीनों से वेतन तक नहीं मिला है। इस मामले में अब एक जिला पंचायत सदस्य ने जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
जानकारी के अनुसार, मैनपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत जाधव के सचिव समरूराम ध्रुव को 2021 में अनियमितताओं के कारण निलंबित कर दिया गया था। जांच के बाद उसे तेतलखुंटी पंचायत में पदस्थ करने का आदेश जारी हुआ, लेकिन उसने इस आदेश को अनदेखा कर दिया। 44 महीने तक अनुपस्थित रहने के बाद भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। बल्कि, उसे एक पसंदीदा पंचायत, जाड़ापदर, में पोस्टिंग दे दी गई।
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल तब खड़ा हुआ, जब यह पता चला कि समरूराम ध्रुव को लाखों रुपये का भुगतान भी किया गया है। यह भुगतान ऐसे समय में हुआ है जब सरकार की ‘नो वर्क-नो पे’ की नीति लागू है। इस मामले को लेकर जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
नेताम ने बताया कि मैनपुर जनपद के 10 से अधिक सचिव ऐसे हैं, जिन्हें कई महीनों से ना तो निलंबन भत्ता मिल रहा है और ना ही उनका वेतन जारी किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकारी आदेशों की अनदेखी करने वाले पर मेहरबानी और जो लोग आदेश का पालन कर रहे हैं, उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।
कलेक्टर भगवान सिंह उइके ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बताया कि शिकायत मिली है और जल्द ही इसकी जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।