कांकेर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्मे के लिए चलाए जा रहे अभियान को एक बड़ी सफलता मिली है। कांकेर जिले में सक्रिय रहे 21 नक्सलियों ने आज पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। इस कदम को प्रोत्साहित करने के लिए, जंगलवार कॉलेज परिसर में आयोजित कार्यक्रम में इन सभी नक्सलियों का रेड कारपेट बिछाकर स्वागत किया गया।
आत्मसमर्पण को प्राथमिकता देती नई रणनीति
बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का स्वागत किया और उन्हें संविधान की प्रति भेंट की। पुलिस ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए अब मुठभेड़ की जगह आत्मसमर्पण को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है। पुलिस का स्पष्ट संदेश है कि यदि नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज में लौटते हैं तो उनका स्वागत किया जाएगा, अन्यथा फोर्स कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार है।
हथियारों का जखीरा सौंपा
इस आत्मसमर्पण में नक्सलियों ने अपने हथियार भी सौंपे हैं, जिनमें AK-47 राइफल सहित कुल 18 हथियार शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली दो एरिया कमेटियों से जुड़े हुए थे, जो कांकेर जिले में सक्रिय थीं।
आईजी पी. सुंदरराज ने इस घटना को एक महत्वपूर्ण बदलाव बताते हुए कहा कि नक्सल संगठन के पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी में सदस्यों की संख्या जो एक समय 45 थी, अब घटकर मात्र 6 से 7 रह गई है। यह दर्शाता है कि नक्सल संगठन लगातार कमजोर हो रहा है।
शांति के लिए अपील
आईजी ने दक्षिण बस्तर के जंगलों में छिपे बाकी नक्सलियों से भी शांति का रास्ता अपनाने और आत्मसमर्पण करने की अपील की। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वालों को सरकार की पुनर्वास योजनाओं का लाभ मिलेगा और वे सम्मान के साथ जीवन जी सकेंगे।
हाल ही में, इस नई रणनीति का असर जगदलपुर में भी दिखा था, जहां इसी महीने 208 नक्सलियों ने 109 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया था। यह घटना यह साबित करती है कि सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव और आत्मसमर्पण की नीति ने नक्सलियों को हिंसा का रास्ता छोड़ने के लिए प्रेरित किया है।