विस्थापित परिवारों की 127 एकड़ पैतृक भूमि पर कब्ज़ा: कांग्रेस विधायक मंडावी ने उद्योगपति पर लगाया धोखाधड़ी का गंभीर आरोप

छत्तीसगढ़ के बीजापुर से कांग्रेस विधायक विक्रम मंडावी ने एक बड़ा और गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सलवा जुडुम के दौरान विस्थापित हुए पाँच आदिवासी परिवारों की कुल 127 एकड़ पैतृक भूमि पर रायपुर के एक उद्योगपति महेंद्र गोयनका ने अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया है। विधायक ने इसे सुनियोजित धोखाधड़ी करार दिया है और राज्य की डबल इंजन सरकार से मामले की उच्च स्तरीय जाँच और ज़मीनों की तत्काल वापसी की मांग की है।

धोखाधड़ी के मुख्य आरोप

बीजापुर जिला मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में विधायक मंडावी ने आरोप लगाया:

  1. बहला-फुसलाकर ज़मीन खरीदना: विधायक ने कहा कि भैरमगढ़ राहत शिविरों में रह रहे धर्मा, बैल, छोटेपल्ली और मरकापाल गांवों के पाँच ग्रामीणों की 127 एकड़ उपजाऊ पैतृक भूमि को उद्योगपति महेंद्र गोयनका ने भूस्वामियों को बहला-फुसलाकर खरीद लिया।
  2. भूस्वामियों को जानकारी नहीं: विस्थापित ग्रामीण, जो इंद्रावती नदी के उस पार अपने गांवों को छोड़कर शिविरों में रह रहे थे, उन्हें अपनी ज़मीन की खरीद-बिक्री की कोई जानकारी तक नहीं थी। उन्हें धोखे में रखकर यह सौदा किया गया।
  3. अशिक्षित होने का फायदा: मंडावी ने बताया कि ये सभी ग्रामीण अशिक्षित हैं और उन्हें न तो कानून की जानकारी है और न ही दस्तावेजों की समझ। एक झटके में पूरी पैतृक संपत्ति बेच देना असंभव है, जो स्पष्ट रूप से धोखाधड़ी को दर्शाता है।
  4. घर वापसी का सपना टूटा: विधायक ने कहा कि इंद्रावती नदी पर पुल बनने के बाद इन गांवों में जन-जीवन सामान्य हो रहा था और विस्थापित ग्रामीण अपने मूल गांवों में लौटने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन जब उन्हें पता चला कि उनकी ज़मीनें बिक चुकी हैं, तो उनका घर लौटने का सपना टूट गया। उन्होंने इसे ज़िले के मूल निवासियों की अस्मिता पर हमला बताया।

विधायक मंडावी की सरकार से मांगें

विक्रम मंडावी ने इस पूरे मामले को भाजपा सरकार के संरक्षण में बस्तर के जल, जंगल और ज़मीन की लूट करार दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि कांग्रेस पार्टी आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर जन-आंदोलन करेगी। प्रेसवार्ता के माध्यम से उन्होंने सरकार के समक्ष ये प्रमुख माँगें रखीं:

  1. ज़मीनों की खरीद-बिक्री की उच्च स्तरीय जांच के लिए एक समिति का गठन किया जाए।
  2. प्रभावित परिवारों को उनकी ज़मीनें तत्काल वापस की जाएं।
  3. इस धोखाधड़ी में शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
  4. आदिवासी क्षेत्रों में भूमि हस्तांतरण पर सख्त निगरानी रखी जाए।

विधायक ने आशंका जताई कि यह सिर्फ इन पाँच परिवारों का मामला नहीं है, बल्कि ज़िले में ऐसे कई और मामले चोरी-छिपे सामने आ सकते हैं।

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